#NindakNiyre: एक देश एक चुनाव को ऐसे समझिए, हो तो सकता है, लेकिन होगा ऐसे या कैसे?

सिर्फ एक साथ चुनाव कराने से नहीं, बल्कि इसकी कानूनी व्यवस्था जरूरी है। यूं तो संयोगवश 1967 तक ऐसा हो ही रहा था।

#NindakNiyre: एक देश एक चुनाव को ऐसे समझिए, हो तो सकता है, लेकिन होगा ऐसे या कैसे?

NindakNiyre

Modified Date: September 8, 2023 / 08:32 pm IST
Published Date: September 8, 2023 8:10 pm IST

बरुण सखाजी. राजनीतिक विश्लेषक

एक देश एक चुनाव की चर्चा के बीच मन में कई सवाल हैं। जैसे कर्नाटक का क्या होगा, जहां सिर्फ 3 महीने पहले सरकार बनी है? अभी सिर्फ साल-दो-साल पुरानी चुनी हुई सरकारों का क्या होगा? इन सब सवालों के बीच आम जनमानस एक देश एक चुनाव को लेकर नकारात्मक नहीं है। वह इसे राजनीतिक मसले से ज्यादा व्यवस्थागत मसला मान रहा है। लेकिन उसके मन में क्लेरिटी जरूरी है। ताकि राजनीतिक दल अपने निजी स्वार्थों के चलते भ्रम न फैला पाएं। इसलिए आवश्यक है इसके हर पहलू को जान लेना चाहिए।

प्रश्नः क्या एक देश एक चुनाव सच में हो सकता है?

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हो सकता है, लेकिन सिर्फ एक साथ चुनाव कराने से नहीं, बल्कि इसकी कानूनी व्यवस्था जरूरी है। यूं तो संयोगवश 1967 तक ऐसा हो ही रहा था।

प्रश्नः तो इसके लिए क्या करना होगा?

आम भाषा में बताता हूं। पहले तो उस विधान (अनुच्छेद-83) को बदलना होगा, जिसमें सरकारों को 5 साल तक काम करने की अधिकतम समय-सीमा दी गई है। दूसरे नंबर पर उस विधान को बदलना होगा, जिसमें बहुमत की धारणा की व्याख्या है। तीसरे नंबर पर जनप्रतिनिधि अधिकारों व दायित्वों से जुड़ी विधाई परिभाषाओं को समझना होगा। नंबर-चार पर राष्ट्रपति, राज्यपाल के सदन (अनुच्छेद-85, 172, 174 और 356) से जुड़े अधिकारों की व्याख्या करने वाले अनुच्छेदों को भी रिव्यू करना होगा।

प्रश्नः यह कौन कर सकता है और कैसे?

यह केंद्र की सरकार कर सकती है। इसके लिए लोकसभा, राज्यसभा में बहुमत के साथ 50 फीसद राज्यों की विधानसभा से सहमति लेनी होगी।

प्रश्नः मौजूदा लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की अभी क्या स्थिति है?

लोकसभा में भाजपा का बहुमत है। राज्यसभा में नहीं है, लेकिन बीजद जैसे दलों के समर्थन से यह संभव है। अभी भाजपा 14 राज्यों में है। 2 राज्यों में बीजद और वायएसआरसीपी की सरकार है, जो भाजपा को मदद करते आए हैं। इस तरह से 50 फीसद राज्यों में यह संभव है।

प्रश्नः इससे एक बार तो साथ चुनाव हो जाएंगे, हर बार ऐसा ही हो कैसे करेंगे?

इसके लिए सरकार को ऊपर बताए अनुच्छेदों में संशोधन करके नई कानूनी व्यवस्था देनी होगी।

प्रश्नः वह कानूनी व्यवस्था क्या हो सकती है?

जनता 5 साल के लिए ही चुनेगी। अगर बीच में सरकार गिर जाती है तो प्रदेश में कुछ जवाबदेहियों के साथ राज्यपाल अपना राजनीतिक प्रतिनिधि नियुक्त कर सकेगा।

प्रश्नः यह राजनीतिक प्रतिनिधि तो एक प्रकार से केंद्र का चहेता होगा, यह तो लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला होगा?

इसके लिए सरकार ऑनलाइन फेयर वोटिंग सिस्टम या कोई नंबरिंग सिस्टम ईजाद कर सकती है। यह प्रामाणिक और पारदर्शी ढंग से पब्लिक डोमेन में रहेगा। इसके आधार पर नियुक्त राजनीतिक प्रतिनिधि जवाबदेह बना रह सकता है।

प्रश्नः हमारी व्यवस्था में तो ईवीएम को 20 साल बाद भी स्वीकारने में राजनीतिक दलों को दिक्कत है, तब यह व्यवस्था कैसे स्वीकारी जाएगी?

इसे अलग से समझाया जाएगा। चूंकि यह अस्थायी और अल्पकालिक व्यवस्था रहेगी।

प्रश्नः ठीक है, तो अब एक देश एक चुनाव के क्या फॉर्मूले हो सकते हैं?

फॉर्मूला-1-

सभी प्रदेश की सरकारों को 356 के तहत निष्प्रभावी करके लोकसभा के साथ 2024 में एक साथ चुनाव करवा दिए जाएं। इसके पहले सभी जरूरी कानून बना दिए जाएं।

फॉर्मूला-2-

3 चरणों में करें, पहला चरण 2024 में हो। इस चरण में 2023 और 2024 में होने वाले सभी प्रदेशों के चुनाव 6-7 महीने आगे पीछे करके एक साथ कर दें। जैसे कि 2023 में 5 राज्यों के चुनाव अभी नवंबर में होने हैं। 2024 में 7 प्रदेशों में चुनाव हैं। यानि 2024 में लोकसभा के साथ 12 राज्यों के चुनाव अभी करवा दिए जाएं। दूसरा चरण में जिन सरकारों के कार्यकाल 2027 जुलाई तक पूरे हो रहे हैं उनके 30 महीनों की सरकार के लिए करा दिए जाएं और तीसरे चरण में 2029 में हों, जिनमें वे सभी राज्य हों जिनके चुनाव अगस्त 2027 या उसके बाद होने हैं।

फॉर्मूला-3-

जिन सरकारों का न्यूनतम 24 से 30 महीने कार्यकाल हो चुका हो उन्हें 2024 में ही भंग करके 12 प्रदेशों के साथ जोड़ दिया जाए। ऐसे प्रदेशों की संख्या 6 है। इस तरह से 2024 में लोकसभा के साथ 18 राज्यों का चुनाव हो जाएगा। बाकी बचे राज्यों को 6 से 7 वर्ष का कार्यकाल विस्तार देकर 2029 में सबको एक साथ कराया जा सकता है। यह विस्तार सरकार के अधिकारों में कटौती करके किया जा सकता है। साथ ही कार्यकाल कम करने के लिए भी कोई विशेष पैकेज देकर टर्मिनेशन की प्रक्रिया की जा सकती है।


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Associate Executive Editor, IBC24 Digital