#NindakNiyre: भाजपा के कोर्ट में खेल रहे भूपेश बघेल

cg politics: पिछले 2 महीने से इक्का-दुक्का बयानों को छोड़ दें तो भूपेश सरकार का किसानों को लेकर कोई महत्वपूर्ण बयान नहीं आया है। दीपक बैज, मंत्री रविंद्र चौबे के धान की कीमतों को 3600 करने के बयान ने भी कोई विस्तार नहीं पाया

#NindakNiyre: भाजपा के कोर्ट में खेल रहे भूपेश बघेल

NindakNiyre

Modified Date: September 22, 2023 / 08:00 pm IST
Published Date: September 22, 2023 7:56 pm IST

बरुण सखाजी. राजनीतिक विश्लेषक

छत्तीसगढ़ कांग्रेस भाजपा के कोर्ट में खेल रही है। यह भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा है। पिछले 2 महीने से इक्का-दुक्का बयानों को छोड़ दें तो भूपेश सरकार का किसानों को लेकर कोई महत्वपूर्ण बयान नहीं आया है। दीपक बैज, मंत्री रविंद्र चौबे के धान की कीमतों को 3600 करने के बयान ने भी कोई विस्तार नहीं पाया। न प्रदेश में इसे लेकर कोई वाइब्रेशन दिखाई दिया। यह न मीडिया में बहुत चर्चा पा सका न जनता में बात का विषय बन सका और न ही किन्ही दूसरे कांग्रेसी नेताओं ने इसे माला की तरह जपा।

इसके ठीक उलट भाजपा ने इसी साल जनवरी में अमित शाह के जरिए कोरबा की रैली से अपनी सरकार के 15 सालों पर बोलना आक्रामकता के साथ शुरू किया था। इन सात-आठ महीनों में भाजपा ने यह नरेशन तय कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में 15 सालों में जो काम हुए थे उनकी तुलना में बीते 5 सालों में नहीं हो सके। खासतौर से सड़कों को लेकर, अधोसंचरनागत दूसरे काम। डॉ. रमन सिंह को फिर से मुख्य चुनावी धारा से जोड़ा।

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अरुण साव ने पीएम आवास के मुद्दे को हवा दी। दावे किए गए लाखों घर नही बनाए जा सके। जितने आंदोलन, रैलियां, प्रदर्शन हुए उतने से ज्यादा लोगों ने इस बात को सही भी माना। नतीजा ये हुआ बघेल सरकार बैकफुट पर गई। पहले केंद्र पर झूठ का आरोप लगाया, लेकिन जमीन पर घर नहीं दिखने के नुकसान को भांपते हए पीएम आवास के लिए बजट एलोकेशन कर दिया। इस एलॉकेशन के साथ डैडलाइन भी तय की, लेकिन बीच में इसे न छूकर देखा न फॉलोअप किया।

फिर भाजपा पहुंच गई गौठान। आंदोलन, रैलियां, प्रदर्शन, नरेशन। कुल जमा भाजपा यह बताने में कामयाब रही, नरवा, घुरुवा, गरुआ, बारी में कुछ ठीक नहीं हुआ। गोबर पर लगातार बृजमोहन अग्रवाल के हमलों ने भी माहौल को गर्म रखा। बघेल सरकार फिर इस फिरकी में चकरघन्नी हो गई। न जवाब समुचित दे पाई न ही इस नरेशन को तोड़ पाई। सड़कों पर बैठे मवेशियों ने इस बात को और पुष्ट किया। जो सरकार नरवा, घुरुवा, गरुवा, बारी को अपनी प्लैगशिप योजना मानकर काम कर रही थी वह इसका नाम लेने से बचती दिखी। बीते 7 महीनों से इसे लेकर किसी मंत्रालय में न तो कोई नियमित बैठक हुई है, न कोई रिव्यू, कामयाबी राजनीतिक तश्तरी में रखा जा रहा।

प्रदेश में कुछ गैंगरेप हुए। कुछ दुष्कर्म की घटनाएं आईं। भाजपा ने इन्हें मुद्दा बनाया। आपसी खींचतान में बिखर रही भाजपा ने इस पर हमले एकजुटता से शुरू किए। ओपी चौधरी इसके झंडाबरदार बने। दुर्योग से घटनाएं घटी नहीं उल्टे बढ़ती गईं। भाजपा यह बताने, जताने में कामयाब रही, प्रदेश में कानून व्यवस्था ढीली है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। रायगढ़ की डकैती, रायपुर में हुए एएसपी ऑफिस गैंगरेप की घटना ने इसे और आधार दे दिया। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस कोई जवाब नहीं दे रही। परंतु यह जवाब जनता तक मल्टीप्लाइ नहीं हो पा रहे। आम चर्चा में नहीं जा पा रहे। भाजपा की यह बड़ी ताकत है। वह मुद्दे को शुरू करती है, उसे मांजती है और लोकचर्चा में डाल देती है।

टिकट घोषित करने जैसे विशुद्ध आंतरिक चुनावी काम को भी भाजपा ने राजनीतिक रूप से बढ़त के रूप में पेश कर दिया। कांग्रेस इसकी फिरकी में नहीं आई, लेकिन बैकफुट पर जरूर रही।

विधायकों के टिकट उड़ाने की। भाजपा के लिए यह आसान है, क्योंकि उसके पास इस समय सबसे ज्यादा पूर्व विधायक हैं। कांग्रेस के पास यह अवसर नहीं। ऐसे में भाजपा बार-बार इंस्टिगेट कर रही है। टिकट काटना पड़ेगा। कांग्रेस की आंतरिक रिपोर्ट भी यह कह रही है। कम से कम 30 से 40 के बीच विधायकों के टिकट काटने होंगे। लेकिन कांग्रेस इतनी बड़ी सर्जरी की स्थिति में नजर नहीं आ रही। तब फिर भाजपा इस आंतरिक मसले पर भी आक्रामक है और कांग्रेस इस फिरकी में भी फंसी हुई है।

शराब घोटाला, ईडी की कार्रवाइयां, आईटी के छापे, कोल परिवहन में अवैध लेवी, विधायकों के खिलाफ विधानसभाओं में माहौल, भ्रष्टाचार के मामलों पर भाजपा लगातार आक्रामक है। इस पर टीएस सिंहदेव का खुले तौर पर और आंतरिक तौर पर सीडी समेत तमाम नेताओं का अपना इंजन अलग लेकर भागना भी कांग्रेस के लिए एक मुसीबत है। कांग्रेस इन मामलों में जिस तरह के काउंटर कर रही है वह जनता की समझ में नहीं आते। शराब घोटाले में सरकार को कितना नुकसान हुआ जनता को इससे ज्यादा इसमें इंट्रेस्ट है कि इसका फायदा किसे हुआ? वह फायदा सबको दिख रहा है। फैक्ट्रीज के मालिकान सदा से ही धनाड्य रहे हैं, किंतु राजनीतिक सत्ता के ऑर्बिट में अनकॉमन ढंग धनाड्य होना साफ दिखाई दे रहा।

तमाम मुद्दों पर कांग्रेस को जवाब तो देना ही होगा। कांग्रेस इसका जवाब भी दे रही है। लेकिन सिर्फ जवाब ही दे रही है। मीडिया के इस दौर में सिर्फ हाजिर जवाब, रोचक जवाबों से काम नहीं चलने वाला। फिलहाल कांग्रेस रोचक जवाब से मुद्दों का काउंटर मान ले रही है। हकीकत यह नहीं है। बीते 9 सालों में हमने देखा है, केंद्र की मोदी सरकार हर मुद्दे पर मल्टीपल मोर्चे बना देती है। एक मोर्चे से जवाब देती है तो एक मोर्चे से काम करती है। बघेल यहां गच्चा खा रहे हैं। वे अपने काम बताने की बजाए सिर्फ विपक्ष के आरोपों के जवाब में लगे हैं। ऐसा नहीं सिर्फ वह ऐसा कर रहे हैं, लगभग पूरी कांग्रेस यही कर रही है।

आत्मविश्वास होना चाहिए। प्रदेश में कांग्रेस के लिए अच्छे हालात हो सकते हैं। बावजूद इसके किए काम तो दिखाने ही होंगे। जवाब तो देने ही होंगे। भाजपा चाहती है बघेल अपने कोर किसान कॉम्बो पर बात न कर पाएं। वह धान पर दिए बोनस, दाम, खरीदी को ऐसे-तैसे या जैसे भी डायल्यूट कर दे। इसके लिए ही भाजपा ने बहुत सतर्कता से इस मुद्दे को छूए बिना प्रदेश के तमाम मुद्दों को खूब उभारा है। नतीजे यह हैं कि कांग्रेस अब भाजपा के कोर्ट में खेल रही है।

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Associate Executive Editor, IBC24 Digital