बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक, आईबीसी24
Why Hindu brand leader Modi focusing Musalman: पहले मोदी अपने बालमित्र अब्बास को याद करते हैं, फिर भाजपा पसमांदा मुसलमानों को लेकर नई राजनीतिक रणनीति बनाती है और अब मोदी मुंबई में दाउद-बोहरा समाज के कार्यक्रम में सैयादाना साहब की तारीफ करते हैं। वे यहां एक सधी और सुलझी हुई स्पीच देते हैं। हर तार, सुर को छूते हैं। देश में आपसी मनमुटाव के बेसुरे माहौल को राग में बदलने की कोशिश करते हैं। बोहरा-दाउद समाज को देश का गौरव बताकर दुनिया में देश के महादूत बनाते हैं। यह यूं ही नहीं। मोदी यहां जो कर रहे हैं वह बड़े ही सुलझे और सुजान ढंग से करते हैं।
दाउदी-बोहरा समाज शांतिप्रिय समाज रहा है। यह बात कोई न माने, इसकी कोई वजह नहीं। इस समय भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मुस्लिम समाज को अपनी मौलिक पहचान को आगे रखना होगा। बीते कुछ दशकों ने उग्र धर्मावलंबी होने का जो टैग लगाया गया है उससे बाहर आने के लिए आवश्यक है कि समाज में पढ़े, लिखे, संभ्रांत परिवारों की भूमिका सुनिश्चित हो। पसमांदा के रूप में पिछड़े, उपेक्षित मुसलमान सिर्फ राजनीतिक टूल न हों। वे सरकार की योजनाओं से सीधे जुड़ें और उनके जीवन में व्यापक बदलाव आए। इसके मोदी ने कुछ संदेश इस दौरान दिए।
शिक्षा कितनी जरूरी है, समझिए।
मुसलमानों में मदरसों के जरिए दी जा रही दीनी तालीम तो ठीक है, लेकिन इस पूरे नेटवर्क का कुछ कट्टरपंथियों ने जैसा दुरुपयोग किया वह अशोभनीय है। इसलिए मोदी ने अपनी स्पीच में सैयदाना साहब पर बोलते हुए शुरुआत उनके 99 वर्ष की आयु में भी बच्चे को पढ़ाने का जिक्र किया। संदेश साफ है कि मुसलमानों को मानना होगा, उनके धर्मगुरु शिक्षाप्रिय हैं न कि सिर्फ दीनी तालीम से माचिस की तीली पैदा करने वाले मदरसा छाप कट्टर शिक्षक।
सामाजिक पहलों में भागीदारी
तबलीगी के तमाशे बाद से लगातार मुस्लिम समाज की छवि को छला जा रहा है। चंद अभद्र लोगों को सारे समाज का प्रतिनिधि मानने का चलन है। ऐसे में जलसंरक्षण, कुपोषण आदि कैंपेन में दाऊदी-बोहरा समाज की भूमिका को बताकर मोदी यहां विश्वास बहाली की कोशिश करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय राजदूत का प्रस्ताव
मोदी बोहरा समाज को भारत का अंतरराष्ट्रीय एंबैसडर बनने की अपील करते हैं। वे लोगों को बताएं कि भारत का माहौल एंटी-मुस्लिम नहीं। मोदी नूपुर शर्मा कांड के बाद से अतिरिक्त सतर्क हुए हैं।
अब बात मुद्दे की
Why Hindu brand leader Modi focusing Musalman: भारत की 140 करोड़ की आबादी में लगभग 18 परसेंट मुस्लिम हैं। यानि 16 करोड़ लगभग मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। यह आबादी पाकिस्तान की कुल आबादी से भी बड़ी है। सिर्फ मतदाताओं की बात करें तो भारत के वर्तमान साढ़े 94 करोड़ वोटर्स में से 18 करोड़ मुस्लिम मतदाता हैं। संख्या में सर्वाधिक यूपी में और असर में सबसे ज्यादा केरल में हैं। पश्चिम बंगाल में भी संख्या में अधिक हैं, लेकिन प्रभाव में नहीं। मुस्लिम मतदाता 2014 से 2023 तक हुए चुनावों में बंटा हुआ नजर आया है। लेकिन विभिन्न राज्यों में जब यह एक हो रहा है तो असर दिख रहे हैं। जैसे बंगाल में भाजपा को 100 के भीतर रोकने में मुस्लिम वोटर्स की भूमिका है। मोदी की भाजपा नहीं चाहती ऐसा कुछ भी लोकसभा में हो।
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1 week ago