छत्तीसगढ़ की लोक’तांत्रिक’ व्यवस्था 

छत्तीसगढ़ की लोक'तांत्रिक' व्यवस्था 

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  • Publish Date - July 6, 2018 / 08:31 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 11:56 AM IST

तस्वीर में तांत्रिक के गेटअप में नजर आ रहा ये शख्स छत्तीसगढ़ भाजपा और सरकार के लिए फजीहत की वजह बन गया है। नाम- रामलाल कश्यप, हालमुकाम-मुलमुला जिला जांजगीर, पेशा-रेस्टॉरेंट संचालक, सहकर्म- भाजपा नेता, पद- भाजयुमो मंडल अध्यक्ष। बुधवार को जब ये अपने तांत्रिक स्वरूप में लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचा तो चर्चा चल निकली कि इसने छत्तीसगढ़ में चौथी बार रमन सरकार बनाने के लिए विधानसभा को ‘बांधने’ की क्रिया की है। मामला दिलचस्प था, सो मीडिया की सुर्खी बना और इसी के साथ विपक्ष को भाजपा और सरकार पर हमला करने का मौका हाथ लग गया। अब रामलाल कश्यप सफाई दे रहे हैं कि वो कोई तांत्रिक नहीं हैं, बल्कि शिवभक्त हैं और भाजपा समर्थक होने के नाते अपनी पार्टी की सरकार बनाने की कामना पूर्ति के लिए उन्होंने बाबा अमरनाथ के चरणों में चढ़ाने के लिए केवल विधानसभा की मिट्टी ली है। 

एक कार्यकर्ता की हैसियत से अपनी पार्टी की सरकार बनने की कामना करना ऊपरी तौर पर भले गलत नहीं जान पड़े, लेकिन विपक्ष को बाबा रामलाल कश्यप के जरिए भाजपा को घेरने का मौका मिल गया है। दरअसल ये मौका खुद भाजपा ने ही विपक्ष को दिया है। कोई भी बाबा का रंग-ढंग देखेगा तो ये जानकार हैरान हो जाएगा कि क्या भाजपा को मंडल अध्यक्ष जैसे पद के लिए यही शख्स मिला? गले में करीब 10 किलो वजन की अजीबो-गरीब कंठी मालाएं। माला में बंधी शिव की मूर्ति। अंगूठियों से भरी अंगुलियां। मालाओं में लिपटी दोनों कलाइयां। आधा घुटा सिर और उसमें पुता सिंदूर। पीछे लटकती लंबी चोटी। कुल मिलाकर गेरुआ वस्त्रधारी ये शख्स तांत्रिक या बाबा कम बल्कि मसखरा ज्यादा नजर आता है। 

कांग्रेस ने इस स्वांगधारी बाबा की आड़ लेकर भाजपा पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। आरोप भले सियासी मंशा वाला हो लेकिन है तो सत्य। जिस सरकार का खुद गृहमंत्री अपने मधुमेह का इलाज कराने के लिए कंबल वाले बाबा की शरण में पहुंचता हो तो आरोप का आधार तो बनता है। लेकिन मजेदार तथ्य ये है कि भाजपा पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली इसी छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता तब केंद्रीय मंत्री रहते शोभन सरकार नाम के साधु के सपने के झांसे में आकर जमीन में गड़ा सोना निकालने के लिए उन्नाव के डौंडिया खेड़ा स्थित किले की खुदवाई करवा डालते हैं।

बहरहाल, कांग्रेस के विरोध की बदौलत रामलाल कश्यप सुर्खियां बटोर कर मशहूर हो चुका है। क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय मीडिया में रामलाल को मुकम्मल कवरेज मिल चुकी है। सोशल मीडिया में भी उसके चर्चे हैं। यानी रामलाल कश्यप को हम सबने मिलकर वाकई ‘बाबा’ बना डाला है। और एक दिन ऐसे ही किसी बाबा की किसी करतूत पर हम सब ही बौद्धिक जुगाली कर रहे होंगे कि लोग आखिर बाबाओं के झांसे में आते क्यों/कैसे हैं। 

 सौरभ तिवारी

असिस्टेंट एडिटर,IBC24