Koya Kutma Samaj's two-day annual 'Koya Karsaad' concluded in Bastar
जगदलपुर: कोया कुटमा समाज जिला बस्तर के द्वारा 19 व 20 जनवरी दो दिवसीय वार्षिक कोया करसाड़ ग्राम परपा जगदलपुर में आयोजन किया गया जिसमें ग्राम पेड़मा के द्वारा कोया समाज के 12 मांडा (तर) के पेन चिन्ह की सेवा अर्जी कर आयोजन को प्रारंभ किया गया।
आयोजन की शुरुआत करते हुए जिला सचिव नरेंद्र शर्मा के द्वारा प्रतिवेदन व समाज की नई नीति एवं प्रस्तावना पढ़ते हुए कहा गया की प्राचीन कालावधि से चली आ रही कोया संस्कृति, सभ्यता, पारंपरिक, रूढ़िजन्य पद्धति असीमित प्राकृतिक धरोहरों का सरंक्षण संवर्धन करते हुए कोया संविधान (बायलॉज) के अनुरूप कोयतोरों के ऐतिहासिक संघर्षों के कांतिवीरों के बलिदानों को स्मरण कर, आने वाले दिनों को कोया समृद्ध समाज की स्थापना का संकल्प लेकर समाज में आमुलचून परिवर्तन लाने का सशक्त प्रयास करते कांति को विशेष बल दिया जाएगा।
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उन्होंने बताया की कोया समाज रियासत काल के नियमानुसार बस्तर जिला कुल 07 विकास खण्डों में विभाजित है, जिसके तहत् बास्तानार, दरभा, तोकापाल, जगदलपुर, बस्तर, लोहण्डीगुड़ा एवं बकावंड ब्लॉक आते हैं। इन सभी विकास खण्डों में बस्तर के अन्य अनुसूचित जनजातियों की तरह कोया जनजातियों की आबादी की लगभग 1/2 वां भाग सरकारी दस्तावेजों कोया सर्वेक्षण के अनुसार पुरखों के समय से शांतिपूर्वक बसर कर रहा है।
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आगे बताया गया की कोयतोरों की विशिष्ठ पहचान माडिया, गोंड एवं दोरला, मुरिया, अबुझमाड़िया के रूप में होती है तथा इन सारी जातियों की खान-पान, रहन-सहन, बोली भाषा, रहवास, तीज पण्डूम एवं कार्यशैली एक जैसी है। बस्तर जिला कोया प्रतिनिधित्व के व्यतीत हुए गत वर्षों में कोयतोरों को एक सूत्र में बांधकर उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और संवैधानिक अधिकारों से वाकिफ कराने का भरसक प्रयास किया गया परिणाम स्वरूप आज, बस्तर अंचल के युवक-युवतियों में नवक्रांति का संचार हो रहा है।
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कहा गया की बस्तर में व्याप्त कुरीतियों जैसे सार्वजनिक स्थल पर शराब विक्रय, मद्यपान, मृत्यु संस्कार में नाट्य प्रदर्शन, बाल विवाह, बालश्रम प्रथा पर रोक, चोरी, डकैती, व अन्य पर रोक लगाया जाकर शिक्षा रोजगार, कृषि व व्यवसाय के क्षेत्र में आगे लाने हेतु प्रेरित किया जायेगा। कोयतारों की बहुत बड़ी आबादी जंगलों, पहाड़ एवं प्रकृति के विशाल भूखण्ड में निवासरत होकर इन नैसर्गिक संसाधनों की रक्षण, संरक्षण व संवर्धन हेतु पुरखों से निरंतर संघर्ष करते आ रहा है तथा उनके रहवासों से बेघर किए जाने वाली भयावह स्थितियों का पुरजोर सामना करता आ रहा है।
आज से 20-21 वर्ष पूर्व बस्तर में निवासरत कोयतोरों की विषमंदशा, संकीर्ण क्षेत्र जीवन, विदेशी आक्रमणकारी नीतियों के तहत् हो रही विस्थापन, दयनीय जीवन पद्धति को सुक्ष्मता से अध्ययन, मनन चिंतन व अपने दर्शन शैलियों से जांच परख कर कोया संगठन स्थापना का आवश्यकता जरूरत समझा तथा उन महान वीरों, स्व० दादा सोमारू कर्मा, स्व० लिंगो पोयाम, एवं सोमारू कौशिक, हिड़मों मंडावी, मासा कुंजाम, बचनु बोगामी, हिड़मों वेट्टी के अद्भुतपूर्व योगदानों का यह समाज सदैव आभारी रहेगा तथा उनके सपनों को पूर्ण करने का यह संकल्प पत्र प्रस्तुत करता है।
कोया समाज की उपलब्धि के बारे में बताते हुए कहा गया की शिक्षा के अभाव में अपने मूल व्यवस्था को त्याग कर धर्मान्तरण किए हुए कोयतोरों को मूल पद्वति कोया रीति रिवाज में वापस लाया गया हैं। इसी तरह इस विशाल समुदाय की एकजुटता को देखते हुए, शासन द्वारा तीन सामुदायिक भवनों की स्वीकृति दी गई हैं। जिसके तहत् कोयतोरों को एकजुट होने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। साथ ही साथ अन्य सामाजिक कुरीतियों पर रोक लगाने में भी सफलता प्राप्त हुई हैं। बताया गया की निकट भविष्य में कोयतोरों के सर्वांगीण विकास हेतु हर संभव प्रयास जारी रखा जायेगा।
आयोजन के मुख्य अतिथि ग्राम गणराज्य पेड़मा, पेद्द, पटेल, गायता, मांझी एवं संभागीय अध्यक्ष हिड़मो मंडावी, अध्यक्षता देवदास कश्यप जिला अध्यक्ष कोया समाज, विशिष्ट अतिथि सांसद बस्तर लोक सभा माननीय दीपक बैज, विधायक चित्रकोट माननीय राजमन बैंजम, विधायक जगदलपुर माननीय रेखाचंद जैन, विधायक बस्तर माननीय लखेश्वर बघेल, अतिथि गण जनपद अध्यक्ष श्रीमती अनीता पोयम पोयाम, संभागीय अध्यक्ष हिड़मो मंडावी, उपाध्यक्ष धनुर्जय कश्यप जिला पंचायत सदस्य बकावंड, सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर, सर्व आदिवासी समाज जिला अध्यक्ष गंगा नाग,समाज जिला अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज जिला बस्तर रुकमणी कर्मा महिला प्रकोष्ठ, एवं समसस्त कोया समाज, गोंडवाना समाज, मुरिया समाज, भतरा समाज, हल्बा समाज, माहरा समाज, मुड़ा समाज, गदबा समाज, धुरवा समाज की उपस्थिति।