Chunavi Chaupal in Pandhana : विधायक को लेकर सवाल पूछते ही भड़क गई जनता, दे दी चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी, भाजपा के लिए कठिन हो सकता है 2023 का रास्ता

Chunavi Chaupal in Pandhana : विधायक को लेकर सवाल पूछते ही भड़क गई जनता : 2023 vidhansabha ke liye Janta ka Opnion

Chunavi Chaupal in Pandhana : विधायक को लेकर सवाल पूछते ही भड़क गई जनता, दे दी चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी, भाजपा के लिए कठिन हो सकता है 2023 का रास्ता

Chunavi Chaupal in Pandhana :

Modified Date: February 25, 2023 / 03:09 pm IST
Published Date: February 25, 2023 3:09 pm IST

Chunavi Chaupal in Pandhana छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के साल 2023 बेहद खास रहने वाला है। दोनों राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। लिहाजा अब दोनों ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मिया बढ़ रही है। विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है तो वहीं सरकार भी पुराने कार्यकाल में हुए कार्यों का हवाला देते हुए निशाना साध रही है।

Chunavi Chaupal in Pandhana इस चुनावी साल में एक बार फिर हम आपके पास आ रहे है। चुनावी चौपाल के जरिए हम आपसे संवाद कर आपके मुद्दों को जानेंगे और सरकार की योजनाओं सहित विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन पर फीडबैक लेंगे। इसी कड़ी में आज हम पहुंचे हैं मध्यप्रदेश के पंधाना विधानसभा सीट पर…

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अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है ये सीट

 Chunavi Chaupal in Pandhana मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के 4 विधानसभा सीटों में से एक पंधाना विधानसभा सीट है।इस विधानसभा सीट को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। हालांकि ये विधानसभा इससे पहले अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित था। लेकिन साल 2008 में इस बदल दिया गया था। इस विधानसभा सीट में जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां भील समाज के 45 हजार मतदाता हैं। साथ ही अनुसूचित जाति के 40 हजार मतदाता हैं। इस क्षेत्र में गुर्जर समाज का भी दबदबा है। ऐसा माना जाता है कि इन दोनों जातियों से जिस पार्टी ने तालमेल बिठा दी उनकी जीत तय है।

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भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है पंधाना सीट

पंधाना विधानसभा सीट को बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। इस सीट पर लगातार कमल खिलती आई है। बीते 25 सालों से यहां कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत 1998 में मिली थी। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की बात तो पंधाना विधानसभा सीट पर कमल खिला था। इस सीट पर बीजेपी के रामप्रताप डोंगरे ने कांग्रेस की छाया मोरे को 23750 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी छाया मोरे को 68094 वोट मिले। वहीं बीजेपी प्रत्याशी रामप्रताप डोंगरे को 91844 वोट मिला।

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2013 और 2008 में मिली थी बीजेपी को जीत

इस सीट पर 2013 में बीजेपी जीतकर आई थी और योगिता नवल सिंह बोरकर यहां की विधायक चुनी गईं। 2013 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के नंदू बारे को 17 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इस चुनाव में योगिता बोरकर को जहां 89732 वोट मिले थे तो वहीं नंदू बारे को 72471 वोट मिले थे। 2008 के चुनाव की बात करें तो इस बार भी बीजेपी को जीत मिली थी, बीजेपी के अनार भाई वास्कले ने 3 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस के नंदू बारे को हराया था। अनार भाई को इस चुनाव में 53064 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के नंदू बारे को 49671 वोट मिले थे।

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इस बार भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं ये मुद्दे, जानें क्या कहा जनता ने

पंधाना विधानसभा सीट पर तो मुद्दें बहुत है। एक स्थानीय व्यापारी मतदाता ने कहा कि यहां के विधायक ने विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है। यहां की सड़कें दो महीने में बनते हैं और तीसरे महीने में उखड़ जाती है। इसके अलावा नालियों का भी यही हाल है।

एक स्थानीय मतदाता ने कहा कि इस बार यहां सबसे बड़ा मुद्दा विकास का रहेगा। इस विधानसभा सीट पर अफसरशाही हावी है। अधिकारियों के दफ्तर पर शिकायत लेकर जानें से कोई काम नहीं होता है। अधिकारी अपनी मर्जी से काम करते हैं। यहां जनता को कोई सुनने वाला नहीं है। किसी भी विधानसभा के लिए बिजली, पानी और सड़क सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं बहुत जरूरी होती है, लेकिन पंधाना विधानसभा में देखें तो इन तीनों चीजों समेत सभी बूनियादी सुविधाओं का अभाव दिखता है। जनता धूल भरी सड़कों पर चलने को मजबूर है।

पिछले चुनाव में विधायक के द्वारा किए गए वादों के पूरा नहीं होने से यहां जनता में आक्रोश दिखता है। एक स्थानीय युवा ने कहा कि पिछले चुनाव के दौरान किए गए एक भी वादें पूरे नहीं हुए हैं। यहां के युवाओं के रोजगार के लिए दूसरे शहरों पर आश्रित रहना पड़ता है। क्षेत्र में एक फैक्ट्री है, लेकिन वहां भी युवाओं को शोषण हो रहा है। युवाओं को केवल नाममात्र की मजदूरी देकर कई घंटों तक काम करवाते है। यही वजह है कि हम जैसे युवाओं को शहरों की ओर पलायन करना पड़ा रहा है।

विकास के सवाल पर चुनाव बहिष्कार करने की बात कहते हुए एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि हम तो इस बार चुनाव का बहिष्कार करेंगे। यहां की सड़कों को नेताओं ने घटिया बनाया है। चप्पल छाप सड़क बनाकर पूरे गांव को धूलित कर दिया।

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।