Guna News: ये तबादला फर्जी है.. डिप्टी कलेक्टर के नाम पर जारी हुए आदेश, खुलासा होते ही मचा हड़कंप, कई कर्मचारी निलंबित
Guna News: ये तबादला फर्जी है.. डिप्टी कलेक्टर के नाम पर जारी हुए आदेश, खुलासा होते ही मचा हड़कंप, कई कर्मचारी निलंबित
Guna News/Image Source: IBC24
- गुना की नगरपालिका में बड़ा घोटाला,
- डिप्टी कलेक्टर के नाम पर जारी हुए आदेश,
- कई कर्मचारी निलंबित,
गुना: Guna News: गुना से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां नगर पालिका में अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। यहां डिप्टी कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर तबादले के आदेश जारी कर दिए गए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह फर्जी साइन कोई और नहीं बल्कि नगर पालिका की मेंटेनेंस शाखा में तैनात एक कर्मचारी ने किए। जैसे ही इस फर्जीवाड़े की सच्चाई सामने आई नगर पालिका में हड़कंप मच गया। मामला अब कोतवाली थाने तक पहुंच चुका है। डिप्टी कलेक्टर मंजूषा खत्री, जो वर्तमान में नगर पालिका की प्रभारी सीएमओ हैं एवं नगर पालिका अध्यक्ष सविता गुप्ता ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। Guna fake transfer order
Guna News: इस फर्जीवाड़े में वाहन मेंटेनेंस शाखा के कर्मचारियों ने डिप्टी कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर चार मेट जगदीश करोसिया, विक्की करोसिया, महाराज सिंह जाटव और करण मालवीय के तबादले के आदेश जारी किए थे। जब विक्की करोसिया ने इसका विरोध किया और हंगामा खड़ा किया, तब पूरे मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं। जांच में स्पष्ट हुआ कि आदेश पर किए गए हस्ताक्षर डिप्टी कलेक्टर मंजूषा खत्री के नहीं थे। उन्होंने स्वयं स्पष्ट किया कि यह हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। फर्जी आदेश की पुष्टि होते ही नगर पालिका प्रशासन ने तत्काल सख्त कदम उठाए। दो संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया, पाँच स्थायी कर्मचारियों को निलंबित किया गया और एक अन्य कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
Guna News: प्रभारी सीएमओ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नगर पालिका में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आनन-फानन में एक आपात बैठक बुलाई गई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तय की गई। जांच में सामने आया है कि आदेशों को वाहन शाखा से टाइप किया गया था और सफाई निरीक्षक से लेकर शाखा प्रभारी तक इस पूरे फर्जीवाड़े में शामिल थे। पूछताछ में कर्मचारियों ने फर्जी हस्ताक्षर और आदेश जारी करने की बात कबूल ली है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस पूरे खेल के पीछे किसका इशारा था। आदेश जारी करने का मकसद क्या था और इससे किसे फायदा पहुंचाया जाना था। यह अब तक साफ नहीं हो पाया है।

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