आप सांसद का सरकार से बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को सुसंगत बनाने का आग्रह |

आप सांसद का सरकार से बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को सुसंगत बनाने का आग्रह

आप सांसद का सरकार से बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को सुसंगत बनाने का आग्रह

:   Modified Date:  September 14, 2023 / 08:32 PM IST, Published Date : September 14, 2023/8:32 pm IST

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) राज्यसभा सदस्य विक्रमजीत सिंह साहनी ने बृहस्पतिवार को केंद्र से बासमती चावल पर 1,200 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को सुसंगत बनाने का आग्रह किया क्योंकि यह इसके निर्यात को प्रभावित कर रहा है।

आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा कि वह हस्तक्षेप के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलने के लिए पंजाब के संसद सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

साहनी ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे के संबंध में पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन से अनुरोध प्राप्त हुआ है।

गोयल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 के लिए भारत में बासमती चावल का कुल उत्पादन 60 लाख टन और गैर-बासमती चावल का कुल उत्पादन 13 करोड़ 55.4 लाख टन है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ गैर-बासमती उसना चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जिसका मतलब है कि 300 डॉलर प्रति टन वाली किस्म को 20 प्रतिशत शुल्क के साथ निर्यात करने की अनुमति है। जबकि 1509 बासमती उबले चावल, जो चावल की अधिक कीमत वाली किस्म है, के निर्यात की अनुमति नहीं है।’’

साहनी ने कहा, अगर कम कीमत वाले चावल की किस्म भारत से बाहर चली जाएगी तो कीमतों को नियंत्रित करने का एजेंडा विफल हो जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि पीडीएस प्रणाली के तहत केंद्र द्वारा बासमती चावल की खरीद नहीं की जाती है और चूंकि दो-तीन प्रतिशत आबादी इस उच्च कीमत वाली वस्तु का उपभोग करती है, इसलिए यह किसी भी तरह से देश में खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव नहीं डालता है।

‘‘इस फैसले से बासमती किसानों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बासमती चावल की लगभग 40 किस्में हैं जिनकी कीमत 850 डॉलर से लेकर 1,600 डॉलर प्रति टन तक है। बासमती चावल की निचली किस्मों का निर्यात बाजार में 70 प्रतिशत का योगदान है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार द्वारा लगाया गया यह न्यूनतम निर्यात मूल्य किसानों की आय को खत्म कर देगा क्योंकि इस फैसले के कारण कीमतें टूट जाएंगी।’’

उन्होंने कहा कि इस फैसले के कारण, भारतीय निर्यातक अपनी मेहनत से कमाया गया खरीदार आधार पाकिस्तान के हाथों खो देंगे, जो इस क्षेत्र में भारत का प्रतिस्पर्धी देश है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)