BPCL, एयर इंडिया निजीकरण को लेकर दृढ़ है मोदी सरकार, क्या पूरा होगा विनिवेश लक्ष्य?

BPCL, एयर इंडिया निजीकरण को लेकर दृढ़ है मोदी सरकार, क्या पूरा होगा विनिवेश लक्ष्य?

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  • Publish Date - December 27, 2020 / 04:52 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:32 PM IST

नयी दिल्ली: कोविड- 19 महामारी की वजह से बीपीसीएल और एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को बेशक कुछ पीछे धकेलना पड़ा हो लेकिन इस मामले में कदम वापस खींचने की सरकार की कोई मंशा नहीं है क्योंकि सरकार का मानना है कि किसी भी तरह के व्यवसाय में रहना उसका काम नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र के बेशकीमती उपक्रमों को बेचने का काम पिछले साल के अंत में शुरू हुआ था और 2020 को माना जा रहा थ्ज्ञा कि यह भारत के निजीकरण के इतिहास में एक अहम वर्ष होगा। वर्ष के दौरान तीन प्रमुख उपक्रमों का निजीकरण किया जाना है। देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री करने वाली भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), विमानन सेवायें देने वाली देश की जानी मानी कंपनी एयर इंडिया और जहाजरानी क्षेत्र में काम करने वाली शिपिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया (एससीआई) को रणनीतिक बिक्री के लिये पेश किया गया है।

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लेकिन कोरोना वायरस महामारी ने इन उपक्रमों के विनिवेश की समयसीमा को आगे धकेल दिया। इसके बावजूद सरकार विनिवेश प्रक्रिया को लेकर मजबूती बनाये हुये है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक से अधिक मौकों पर जोर देते हुये यह कह चुकीं हैं कि सरकार हिस्सेदारी बेचने के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान तो यहां तक कह चुके हैं कि ‘‘सरकार का किसी व्यवसाय को चलाने का कोई काम नहीं है।’’ पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत ही बीपीसीएल आता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष 2020- 21 के लिये 2.10 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य तय किया। लेकिन अब तक इस साल में विभिन्न उपक्रमों में आंशिक हिस्सेदरी की बिक्री के जरिये मात्र 12,380 करोड़ रुपये ही जुटाये जा सके हैं।

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चालू वित्त वर्ष के लिये तय विनिवेश लक्ष्य हासिल करना भी पिछले वित्त वर्ष की तरह असंभव जान पड़ता है। क्योंकि इस साल का लक्ष्य पिछले साल जुटाये गये 50,298 करोड़ रुपये के मुकाबले चार गुणा ऊंचा है। इस वित्त वर्ष के लिये रखे गये 2.10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य में 1.20 लाख करोड़ रुपये केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से जुटाये जाने हैं जबकि 90 हजार करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बेचकर जुटाये जाने हैं। इन संस्थानों में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और आईडीबीआई जैसे संस्थान प्रमुख हैं। सरकार अधिकारियों ने बीपीसीएल और एयर इंडिया में विनिवेश प्रक्रिया अगले कुछ महीनों के दौरान पूरी होने को लेकर विश्वास जताया है। एयर इंडिया के लिये निजीकरण की प्रक्रिया जनवरी 2020 में शुरू हुई थी। वहीं मार्च की शुरुआत में बीपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिये शुरुआती बोलियां आमंत्रित की गईं। इसके बाद कोरोना वायरस महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन लागू हो गया। इसके बाद सरकार को बार बार इनके लिये बोली लगाने की समयसीमा को बढ़ाना पड़ा। बहरहाल इस कैलेंडर वर्ष की समाप्ति पर सरकार ने कहा है कि उसे बीपीसीएल और एयर इंडिया के लिये कई बोलियां प्राप्त हुई है।

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वहीं सरकार ने 2020 के आखिर में शिपिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया (एससीआई) में भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिये शुरुआती बोलियां आमंत्रित की हैं। उसे उम्मीद है कि 2021 में वह इसे पूरा कर लेगी। सरकार ने कंटेनर कार्पोरेशन, सीमेंट कार्पोरेशन, बीईएमएल, पवन हंस, स्कूटर्स इंडिया और सेल के कुछ इस्पात कारखानों को 2019 से बिक्री के लिये रखा हुआ है। हालांकि, सवाल यही है कि कब इनकी वास्तविक रणनीतिक बिक्री शुरू होगी। एयर इंडिया का विनिवेश मार्च 2021 तक पूरा होने की संभावना कम ही है जबकि बीपीसीएल, एससीआई और कोनकोर के सौदे से चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश प्राप्ति 80 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। फिर भी यह राशि सरकार के 2.10 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य के मुकाबले काफी कम होगी।

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