सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए ‘विजन आईएएस’ पर लगाया 11 लाख रुपये का जुर्माना

सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए ‘विजन आईएएस’ पर लगाया 11 लाख रुपये का जुर्माना

  •  
  • Publish Date - December 25, 2025 / 04:19 PM IST,
    Updated On - December 25, 2025 / 04:19 PM IST

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने शैक्षणिक संस्थान ‘विजन आईएएस’ पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अपने छात्रों के प्रदर्शन के बारे में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के तहत बार-बार अपराध करने पर जुर्माना लगाने का यह पहला मामला है।

सीसीपीए ने पाया कि ‘अजय विजन एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड’ के रूप में आधिकारिक तौर पर पंजीकृत शैक्षणिक (कोचिंग) संस्थान ने जानबूझकर इस बारे में जानकारी छिपाई कि सफल उम्मीदवारों ने वास्तव में किन पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया था, जिससे यह गलत धारणा बनी कि सभी ‘टॉपर्स’ ने लाखों रुपये के महंगे ‘फाउंडेशन कोर्स’ किए थे।

सीसीपीए की मुख्य आयुक्त एवं उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ दूसरी बार अपराध करने पर जुर्माना लगाने का यह पहला मामला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ नियामक हस्तक्षेप और आगाह किए जाने के बावजूद संस्थान ने अपने नए विज्ञापनों में भी इसी तरह के दावे करना जारी रखा जो उचित सावधानी और नियामक अनुपालन की कमी को दर्शाता है।’’

सीसीपीए ने बयान में कहा, ‘‘उल्लंघन की पुनरावृत्ति को देखते हुए, वर्तमान मामले को दोबारा किए गए उल्लंघन के रूप में माना गया। उपभोक्ताओं की सुरक्षा के हित के अनुरूप इसके लिए उच्च दंड लगाना उचित है।’’

प्राधिकरण के अनुसार, प्रिंट मीडिया के विपरीत वेबसाइट लंबे समय तक वैश्विक स्तर पर पहुंच में रहती हैं और डिजिटल युग में इच्छुक छात्रों के लिए शैक्षणिक संस्थानों की खोज करने का प्राथमिक तरीका है। छात्रों की उचित अनुमति या सहमति के बिना दावे प्रस्तुत करने से विज्ञापनों की भ्रामक प्रकृति और भी बढ़ जाती है।

गौरतलब है कि सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार गतिविधियों के लिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों को अब तक 57 नोटिस जारी किए हैं। 28 संस्थानों पर कुल 1.09 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है और उन्हें इस तरह के भ्रामक दावों को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।

प्राधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने विज्ञापनों में जानकारी का सत्य एवं पारदर्शी प्रकटीकरण सुनिश्चित करना चाहिए, जिससे छात्रों को निष्पक्ष एवं सही शैक्षणिक निर्णय लेने में मदद मिल सके।

भाषा निहारिका रमण

रमण