कोलकाता, सात अगस्त (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अपने कोयले का उपयोग कर रहे ताप विद्युत संयंत्रों को एक अगस्त से खुले बाजार में जरूरत से अधिक बिजली को बेचने की मंजूरी देनी शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
बिजली क्षेत्र में कोयले की मांग बढ़ाने और उपभोक्ताओं के लिए बिजली को अधिक किफायती बनाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।
अबतक केवल उन्हीं बिजली उत्पादकों को कोल इंडिया से लिए गए कोयले पर आधारित बिजली की आपूर्ति करने की अनुमति थी जिनके पास दीर्घ या मध्यम अवधि के बिजली खरीद समझौते थे।
लेकिन संशोधित नीति के तहत अब ऐसे सभी बिजली उत्पादकों को जरूरत से अधिक बिजली को खुले बाजार में बेचने की अनुमति होगी। यह मंजूरी केंद्र सरकार, राज्य सरकार या निजी क्षेत्र के ऐसे ताप विद्युत संयंत्रों को होगी जिनके कोल इंडिया से दीर्घ या मध्यम अवधि के लिए ईंधन आपूर्ति समझौते हैं।
कोल इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यह कदम देश में सस्ती और निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।’’
इसके जरिये बिजली एक्सचेंज में अधिक आपूर्ति संभव होगी जिससे हाजिर कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया ने पिछले वर्ष अगस्त में ताप विद्युत संयंत्रों को सालाना अनुबंधित मात्रा के 120 प्रतिशत से अधिक कोयला खरीदने की अनुमति दी थी।
चालू वित्त वर्ष (2025-26) में कंपनी ने बिजली क्षेत्र को लगभग 65 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति का लक्ष्य तय किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोल इंडिया के हालिया फैसलों से बिजली के साथ गैर-बिजली क्षेत्रों में भी कोयले की मांग को बढ़ावा मिलेगा।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय