अदालत ने ‘अपफ्रंट मार्जिन’ मामले में सेबी, केंद्र से जवाब मांगा

अदालत ने ‘अपफ्रंट मार्जिन’ मामले में सेबी, केंद्र से जवाब मांगा

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  • Publish Date - December 2, 2020 / 02:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक परिपत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर बाजार नियामक सेबी और केंद्र से जवाब मांगा। इस परिपत्र में कारोबारियों और निवेशकों के लिये अपने खातों में पूरे दिन न्यूनतम ‘अपफ्रंट मार्जिन’ यानी अग्रिम राशि बनाये रखने को अनिवार्य किया गया है।

न्यायाधीश जयंत नाथ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।

हालांकि, अदालत ने सेबी के परिपत्र पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

मामले की अगली सुनवाई अगले साल दो मार्च को होगी।

‘ऑनलाइन’ कारोबार सेवा देने वाली और प्रतिभूति बाजार से संबद्ध विसडम कैपिटल एडवाइजर्स प्राइवेट लि. ने याचिका में दावा किया कि मौजूदा व्यवस्था में किसी प्रकार के बदलाव से उस पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

उसने कहा कि सेबी के 20 जुलाई को जारी परिपत्र का कई खुदरा कारोबारियों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। ऐसी आशंका है कि अगर वायदा एवं विकल्प खंड (डेरिवेटिव्स) में सौदा कम होता है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे डेरिवेटिव्स कारोबार पर लगने वाले जीएसटी (माल एवं सेवा कर), एसटीटी (प्रतिभूति सौदा कर) और स्टांप ड्यूटी राजस्व में गिरावट आएगी।

इसमें कहा गया है, ‘‘…इस परिपत्र से शेयर और प्रतिभूतियों की खरीद और से जुड़ी उसकी जैसी इकाइयों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।’’

याचिका में दावा किया गया है कि नया नियम का शेयर बाजार के कामकाज पर प्रभाव पड़ेगा।

इसमें कहा गया है कि दुनिया भर के प्रतिभूति बाजारों में मार्जिन की धारणा व्याप्त है। लेकिन परिपत्र में ‘पीक मार्जिन’ की अस्पष्ट धारणा को पेश किया गया है और इसके जरिये न्यूनतम मार्जिन की बाध्यता रखी गयी है।

याचिका के अनुसार न्यूनतम मार्जिन में किसी प्रकार की कमी होने पर कारोबारी सदयों या समशोधन सदस्यों पर जुर्माना लगाये जाने का प्रावधान किया गया है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर