ढाका/नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले में रविवार को दो और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। यह जानकारी मीडिया की एक खबर से मिली।
‘डेली स्टार’ समाचारपत्र ने पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) के सूत्रों के हवाले से बताया कि हालिया गिरफ्तारियों के साथ ही, हत्या में संलिप्तता के आरोप में अब तक 12 लोगों को पकड़ा गया है।
कारखाने में श्रमिक के तौर पर कार्यरत दास को बृहस्पतिवार को पहले एक भीड़ ने ईशनिंदा के आरोपों में पीटकर मार डाला था और उसके शव को मैमेनसिंह में आग लगा दी थी।
पुलिस के अनुसार, दास को पहले कारखाने के बाहर भीड़ ने ईशनिंदा के आरोपों पर पीटा और फिर पेड़ से लटका दिया। इसके बाद भीड़ ने मृतक के शव को ढाका-मैमेनसिंह राजमार्ग के किनारे छोड़ दिया और बाद में उसमें आग लगा दी।
पुलिस ने शव बरामद करके पोस्टमार्टम के लिए मैमेनसिंह मेडिकल कॉलेज के शवगृह भेज दिया।
पीड़ित के भाई अपू चंद्र दास ने शुक्रवार को भालुका पुलिस थाने में 140-150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया।
आरोप है कि दास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा था जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी।
हालांकि, मैमेनसिंह में आरएबी-14 के कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमान ने शनिवार को ‘द डेली स्टार’ को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह संकेत मिले कि दास ने सोशल मीडिया पर ऐसा कुछ पोस्ट किया था जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो।
उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोग या कपड़ा कारखाने के अन्य कर्मचारी भी ऐसी किसी गतिविधि की ओर इशारा नहीं कर सके।
शम्सुज्जमान ने कहा, ‘‘अब हर कोई कह रहा है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उसे ऐसा कुछ कहते हुए नहीं सुना। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला है जिसने धर्म को ठेस पहुंचाने वाली कोई बात सुनी या देखी हो।’’
उन्होंने कहा, ‘जब स्थिति तनावपूर्ण हो गई, तो कारखाने की सुरक्षा के लिए दास को जबरन कारखाने से बाहर निकाल दिया गया।’
अंतरिम सरकार ने शुक्रवार को इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि नये बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार ने एक बयान में कहा, ‘इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’
पिछले साल अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश में हिंदू आबादी को देश भर में अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
भाषा अमित प्रशांत
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