Digital Rupee: भारतीय मुद्रा का डिजिटल रूप है “डिजिटल रुपया” या “e₹”, 1.75 मिलियन से अधिक लोग कर रहे उपयोग

"Digital Rupee": भारत सरकार ने 30 मार्च, 2022 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में आवश्यक संशोधनों को अधिसूचित किया, जिससे 'डिजिटल रुपया' को कानूनी टेंडर का दर्जा प्रदान किया गया,

Digital Rupee: भारतीय मुद्रा का डिजिटल रूप है “डिजिटल रुपया” या “e₹”, 1.75 मिलियन से अधिक लोग कर रहे उपयोग
Modified Date: September 5, 2023 / 11:03 pm IST
Published Date: September 5, 2023 10:29 pm IST

Digital Rupee: नईदिल्ली। फिनटेक विभाग के केन्द्रीय कार्यालय ने कहा है कि “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी” या “डिजिटल रुपया” या “e₹” भारत की मुद्रा, रुपया का डिजिटल रूप है। यह कागजी मुद्रा के समान है, लेकिन एक अलग रूप लेता है और मौजूदा मुद्रा, रुपये के बराबर आदान प्रदान करने के योग्य है। केंद्रीय बैंक के दायित्व के रूप में, e₹ जनता को विनिमय का जोखिम-मुक्त माध्यम प्रदान करता है और मूल्य का सुरक्षित भंडार करता है। e₹ विश्वास, सुरक्षा और अंततः त्वरित निपटान जैसी भौतिक नकदी की सुविधाएं प्रदान करता है और इसमें कोई ब्याज नहीं है।

“डिजिटल रुपया” जारी का करने का उद्देश्य

सीबीडीसी जारी करने के मुख्य उद्देश्य भौतिक नकदी प्रबंधन में शामिल संचालन संबंधी लागत में कमी, निपटान प्रणाली में दक्षता, सीमा पार भुगतान क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा, जनता को किसी भी निजी डिजिटल का उपयोग प्रदान करना शामिल है, जिसे ऑब्जेक्ट/टोकन संबंधित जोखिमों के बिना प्रदान कर सकते हैं और भविष्य के लिए तैयार हो सकते हैं।

‘डिजिटल रुपया’ को कानूनी टेंडर का दर्जा

Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा भारत में सीबीडीसी की शुरूआत के लिए एक सक्षम कानूनी ढांचे की आवश्यकता थी। भारत सरकार ने 30 मार्च, 2022 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में आवश्यक संशोधनों को अधिसूचित किया, जिससे ‘डिजिटल रुपया’ को कानूनी टेंडर का दर्जा प्रदान किया गया, जिससे पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत संभव हो सकी। आरबीआई वर्तमान में अंतिम लॉन्च पर निर्णय लेने से पहले चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति की दिशा में काम करने में लगा हुआ है। पायलट प्रोजेक्ट थोक e₹ के लिए 1 नवंबर, 2022 को और खुदरा e₹ के लिए 1 दिसंबर, 2022 को शुरू हुआ।

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सरकारी प्रतिभूतियों के द्वितीयक बाजार निपटान के लिए थोक पायलट केंद्रीय समकक्षों (सीसीपी) शुल्क और निपटान गारंटी बुनियादी ढांचे या निपटान जोखिम के लिए कोलेटरल की आवश्यकता से बचने के लिए धन और प्रतिभूतियों के एक साथ निपटान की अनुमति देता है।

वहीं खुदरा पायलट में, e₹ को बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल वॉलेट द्वारा लेनदेन करने के लिए रखा या इस्तेमाल किया जा सकता है। खुदरा पायलट तत्काल डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करता है। e₹ उन्हीं मूल्यवर्ग में जारी किया जाता है जिनमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं। वर्तमान डिजाइन में, e₹ को दो-स्तरीय मॉडल द्वारा वितरित किया जाता है, इसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बनाया जाता है और बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाता है।

1.75 मिलियन से अधिक लोग उपयोग कर रहे e₹

इसकी शुरुआत चार शहरों और चार बैंकों से हुई और अब इसे तेरह बैंकों और छब्बीस स्थानों तक विस्तारित किया गया है और इसके 1.75 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता और व्यापारी हैं।

₹ पायलट e₹ जारी करने के लिए आवश्यक कानूनी, संचालन और तकनीकी तैयारियों के साथ-साथ लेखांकन का परीक्षण करने में सफल रहे हैं। इससे उपयोगकर्ता और व्यापारी के व्यवहार और आवश्यकताओं को समझने में भी मदद मिली है। प्राप्त अनुभव के आधार पर, भविष्य के पायलटों में विभिन्न उपयोग के मामलों और तकनीकी संरचना का परीक्षण किया जाएगा। नेटवर्क और प्रोग्रामेबिलिटी के अभाव में लोचशीलता और उपलब्धता प्रदान करने के लिए ऑफलाइन उपयोग जैसी सुविधाओं पर भी विचार किया जा रहा है, यानी धन के उपयोग को विशिष्ट उपयोग के मामलों के साथ भी जोड़ा जा रहा है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com