सरकार चीनी के एमएसपी में बदलाव पर सक्रिय रूप से विचार कर रही

सरकार चीनी के एमएसपी में बदलाव पर सक्रिय रूप से विचार कर रही

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 07:52 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 07:52 PM IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य राहत उपायों पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है। इसका कारण उद्योग ने जनवरी के मध्य से गन्ने के बकाया में तेज वृद्धि की चेतावनी दी है।

भारतीय चीनी एवं जैव-इंधन विनिर्माता संघ (इस्मा) ने कहा कि गन्ने का बकाया बढ़ रहा है और 30 नवंबर तक महाराष्ट्र में यह 2,000 करोड़ रुपये था। मिलें अतिरिक्त स्टॉक, उत्पादन की उच्च लागत, एथनॉल के लिए कम आवंटन, घरेलू कीमतों में गिरावट और वैश्विक स्तर पर अधिक उत्पादन के कारण नकदी संकट का सामना कर रही हैं।

इस्मा की वार्षिक आम बैठक के दौरान अलग से बातचीत में चोपड़ा ने कहा, ‘‘उन्होंने (इस्मा) हमें बताया कि गन्ने के बकाया से संबंधित समस्या जनवरी के मध्य से शुरू होगी। हम उस समय सीमा से अवगत हैं और इस पर काम कर रहे हैं। अगले एक महीने में, हम कुछ ऐसे फैसले लेंगे जो उद्योग की मदद करेंगे और किसानों को समय पर भुगतान भी सुनिश्चित करेंगे।’’

सरकार सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। इसमें एमएसपी में संशोधन, मौजूदा 15 लाख टन से अधिक निर्यात की अनुमति देना, और अधिक एथनॉल के लिए आवंटन जैसे उपाय शामिल हैं।

फरवरी 2019 से चीनी का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित है। इस्मा ने इसे बढ़ाकर 41.66 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की है।

चोपड़ा ने यह स्वीकार किया कि अतिरिक्त चीनी इस साल एक चुनौती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इन सभी पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं और उम्मीद है कि सभी अंशधारकों के हित में, हम ऐसे समाधान लेकर आएंगे जो चीनी उद्योग के सभी अंशधारकों को उनका हक दिलाएंगे।’’

देश का चीनी उत्पादन 2025-26 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में 3.43 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो अधिक गन्ना उत्पादन के कारण होगा। चूंकि गन्ने या चीनी आधारित शीरे से एथनॉल का आवंटन केवल 28 प्रतिशत रहा है, इसलिए लगभग 34 लाख टन चीनी को एथनॉल के लिए हस्तांतरित किया जाएगा।

उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमने सोचा था कि यह अधिक होगा, लेकिन अब हमारे सामने ऐसी स्थिति है जहां यह केवल 34 लाख टन ही है।’’

सरकार ने उद्योग की मदद के लिए पहले ही 15 लाख टन निर्यात की अनुमति दे दी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात से वाकिफ हैं कि अधिशेष स्टॉक जमा नहीं होना चाहिए। हम यह भी जानते हैं कि अगला चीनी सत्र और भी बेहतर है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि स्टॉक जमा होने से जितना हो सके रोका जाए और गन्ने के किसानों को उनका बकाया समय पर मिले।’’

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि मौजूदा स्थिति वर्ष 2018-19 सत्र जैसी ही है जब गन्ने का बकाया 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। इससे सरकार को एमएसपी बढ़ाने और निर्यात पर सब्सिडी देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

इस सत्र में अब तक उद्योग ने एक से 1.5 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए अनुबंध किए हैं।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण