सरकार ने हिंदुस्तान उर्वरक के तीन संयंत्रों को नई निवेश नीति के दायरे में लाने को मंजूरी दी

सरकार ने हिंदुस्तान उर्वरक के तीन संयंत्रों को नई निवेश नीति के दायरे में लाने को मंजूरी दी

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  • Publish Date - March 22, 2022 / 05:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:35 PM IST

नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) सरकार ने मंगलवार को हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में बनने वाली तीन इकाइयों को ‘नई निवेश नीति-2012’ के दायरे में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

सरकार ने जनवरी, 2013 में नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012 की घोषणा की थी और यूरिया क्षेत्र में नए निवेश की सुविधा के लिए तथा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अक्टूबर, 2014 में इसमें संशोधन किया गया था।

एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने एचयूआरएल की इन तीन इकाइयों को नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012 के दायरे में लाने के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’

एचयूआरएल, जून, 2016 में बना था। यह कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का एक संयुक्त उद्यम है। यह 12.7 लाख टन प्रति वर्ष (प्रत्येक) की स्थापित क्षमता के साथ नए गैस आधारित यूरिया संयंत्र स्थापित करके एफसीआईएल की पूर्ववर्ती गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों और जीएफसीएल की बरौनी इकाई को पुनर्जीवित कर रहा है। इन तीन एचयूआरएल यूरिया परियोजनाओं की लागत 25,120 करोड़ रुपये है। गेल इन तीनों इकाइयों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति कर रही है।

तीन इकाइयों के चालू होने से देश में 38.1 लाख टन प्रतिवर्ष यूरिया उत्पादन बढ़ेगा।

यह परियोजनायें, न केवल किसानों को उर्वरक की उपलब्धता की स्थिति में सुधार करेगी बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा सड़क, रेलवे, सहायक उद्योग आदि जैसे बुनियादी ढांचे के विकास सहित क्षेत्र में अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देगी।

इन तीन उत्पादन केन्द्रों का उद्देश्य सात राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में यूरिया की मांग को पूरा करना है।

भाषा राजेश राजेश रमण

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