सरकार ने कोयला ब्लॉक परिचालन में तेजी लाने के लिये आबंटियों की मदद को लेकर परामर्शदाता की सेवा ली

सरकार ने कोयला ब्लॉक परिचालन में तेजी लाने के लिये आबंटियों की मदद को लेकर परामर्शदाता की सेवा ली

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  • Publish Date - December 17, 2020 / 12:42 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

कोलकाता, 17 दिसंबर (भाषा) सरकार ने कोयला खदान आबंटियों की मदद और उनके समक्ष चुनौतियों के समाधान के लिये परामर्शदाता की सेवा ली है। यह परामर्शदाता उन इकाइयों को चुनौतियों से पार पाने और खदानों को उत्पादक बनाने के लिये उनकी सहायता करेंगे।

विभिन्न इकाइयों को बहुत पहले आबंटित कोयला ब्लॉक के विकास में कम प्रगति की रिपोर्ट के बीच परामर्शदाता की सेवा ली गयी है।

कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की कोयला ब्लॉक के अगले दौर की नीलामी जनवरी में करने की योजना है।

एमजंक्शन के एक कार्यक्रम में कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एम नागराजू ने कहा, ‘‘कोयला खदान आबंटियों की मदद और उनके समक्ष चुनौतियों के समाधान के लिये परामर्शदाता की सेवा ली गयी है।’’

अधिकारी ने कहा कि कई ब्लॉक विकास के विभिन्न स्तर पर फंसे पड़े हैं।

हालांकि उन्होंने परामर्शदाता के बारे विस्तार से जानकारी नहीं दी।

खनन कंपनियां प्राय: पर्यावरण और अन्य नियामकीय मंजूरियां मिलने मे देरी की शिकायत करती हैं।

उन्हांने कहा कि सरकार कोयला ब्लॉक के विकास में धीमी प्रगति को लेकर संबंधित इकाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी कर रही है।

अतिरिक्त सचिव ने यह भी कहा कि कोयला ब्लॉक के तेजी से परिचालन में लाने के लिये केंद्र, राज्य सरकारों तथा कोयला ब्लॉक अबंटियों को मिलकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कुल 98 खदनों की अबतक नीलामी हुई है। इसमें से केवल 33 परिचालन में हैं।

नागराजू ने कहा कि कोयला ब्लॉक के तेजी से परिचालन में आने से न केवल जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी आएगी बल्कि विदेशी मुद्रा खर्च भी कम होगा।

अधिकारी ने यह भी कहा कि अगले 30-35 साल तक कोयला ऊर्जा का मुख्य स्रोत बना रहेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘कुल ऊर्जा में कोयले की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत बनी रहेगी और जिस तरीके से मांग बढ़ रही है, यह 50 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर सकता है।’’

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर