‘दवा खरीद प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिये ब्लाकचेन, हाइपर लेजर प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगी सरकार’

‘दवा खरीद प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिये ब्लाकचेन, हाइपर लेजर प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगी सरकार’

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  • Publish Date - April 5, 2021 / 04:13 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में दवा खरीद प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिये सरकारी ई-बाजार प्लेटफार्म (जेम) में हाइपर लेजर, ब्लाकचेन प्रौद्योगिकी एवं इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करने जा रही है।

जेम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तल्लीन कुमार ने भाषा से बातचीत में यह जानकारी देते हुये कहा, ‘‘ हम दवा खरीद प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमता, ब्लाकचेन प्रौद्योगिकी एवं इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करने जा रहे हैं। इससे दवा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता आयेगी और नकली दवाओं की आपूर्ति पर रोक लगायी जा सकेगी।’’

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये संभव होगा, क्योंकि ब्लाकचेन प्रौद्योगिकी के माध्यम से आपूर्तिकर्ता के पंजीकृत होने पर मूल स्रोत की जानकारी होगी और इसमें हेरफेर करना संभव नहीं होगा। इस तकनीक से यह पता लगाया जा सकेगा कि मूल आपूर्तिकर्ता कौन है।

कुमार ने बताया कि दवा के मामलों में तापमान एक महत्वपूर्ण कारक होता है। कई दवाओं के रखरखाव के लिये तापमान निर्धारित होता है। ऐसे में कई बार सही दवा होने के बावजूद नियत तापमान पर नहीं रखे जाने से ये अप्रभावी हो जाते हैं।

उन्होंने आगे बताया, ‘‘हाइपर लेजर, ब्लाकचेन प्रौद्योगिकी एवं इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीक के उपयोग से इन विषयों पर भी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।’’

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश चिकित्सा आपूर्ति निगम, सशस्त्र बल मेडिकल सेवा महानिदेशालय से इस बारे में सहयोग किया जायेगा।

जेम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि कारीगरों, हुनरमंद लोगों द्वारा बनाये गए भौगोलिक संकेत से युक्त उत्पादों (जीआई टैगिंग) की खरीद प्रक्रिया में भी ब्लाकचेन प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमता तकनीक का उपयोग किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि सरकार ने जिन्हें ‘जीआई टैग’ प्रदान किया है, उनके उत्पाद आ रहे हैं या नहीं।

गौरतलब है कि ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहां से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।

वहीं, इंटरनेट ऑफ थिंग्स नेटवर्किंग तकनीक का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। इस तकनीक की मदद से जोड़े गए सभी स्मार्ट उपकरण एक दूसरे को डाटा भेजते हैं और एक दूसरे से डाटा प्राप्त कर सकते हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र की खरीदारी के लिए बनाए गए ऑनलाइन पोर्टल ‘जेम’ की शुरूआत अगस्त 2016 में की गई थी।

कुमार ने बताया, ‘‘जेम पर राज्य और केंद्र सरकार के संगठनों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद का आंकड़ा एक साल पहले 51,154 करोड़ रुपये था, जो इस साल 25 मार्च को बढ़कर 1,00,610.3 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।’’

भाषा दीपक

महाबीर पाण्डेय

महाबीर