GST On Gold & Silver: बदल गया टैक्स ढांचा, फिर भी सोने-चांदी पर GST जस का तस, आखिर क्या है वजह?
GST On Gold & Silver: बदल गया टैक्स ढांचा, फिर भी सोने-चांदी पर GST जस का तस, आखिर क्या है वजह?
(GST On Gold & Silver, Image Credit: ANI News)
- जीएसटी स्लैब अब सिर्फ 5% और 18%।
- सोने-चांदी पर 3% टैक्स बरकरार।
- कीमती धातुओं को विशेष श्रेणी माना गया।
नई दिल्ली: GST On Gold & Silver: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में टैक्स स्ट्रक्चर को सरल करते हुए कई बड़े बदलाव किए गए हैं, लेकिन सोने-चांदी पर टैक्स स्लैब 3% ही बनी हुई है। कीमती धातुओं को विशेष श्रेणी में रखते हुए इन्हें नए स्लैब से अलग रखा गया है।
GST On Gold & Silver: दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में टैक्स स्लैब में कई अहम बदलाव किये गए हैं। पहले जहां चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) थे, अब उन्हें सरल करते हुए मुख्य रूप से दो स्लैब 5% और 18% कर दिया गया है। इसके अलावा कुछ खास वस्तुओं जैसे तंबाकू, शराब और लक्जरी कारों के लिए 40% का नया टैक्स स्लैब भी बनाया गया है। ये बदलाव नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 सितंबर 2025 से लागू हो जाएंगे।
सोना-चांदी पर अभी भी 3% GST
इन सभी सुधारों के बाद भी सोने और चांदी का लगने वाला 3% जीएसटी दर को बकरार रखी गई है। इसकी मुख्य वजह है कि कीमती धातुओं को जीएसटी प्रणाली में एक विशेष श्रेणी में रखा गया है, जिन पर पहले से ही 3% की दर लागू है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन पर टैक्स दर में कोई बदलाव न करना सही फैसला है।
इस पर क्यों नहीं बढ़ा टैक्स?
सोने-चांदी के कारोबार में प्रॉफिट का मार्जिन बहुत कम (2-5%) होता है। यदि इन पर 18% या उससे अधिक जीएसटी लगाया जाता है तो इससे गहनों की कीमतें ज्यादा बढ़ जातीं और ज्वैलर्स की वर्किंग कैपिट पर भी प्रभाव पड़ता। इसी वजह से इन्हें उच्च टैक्स स्लैब से बाहर रखा गया है।
मेकिंग चार्ज और निवेश पर टैक्स कितना है?
सोने और चांदी की कीमत पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है, लेकिन ज्वैलरी मेकिंग चार्ज पर 5% जीएसटी वसूला जाता है क्योंकि यह एक सर्विस है। डिजिटल गोल्ड पर भी 3% टैक्स लागू है, वहीं, गोल्ड ETF पर कोई जीएसटी नहीं लगता, जिससे यह निवेश के लिहाज से सस्ता ऑप्शन बन जाता है।
नोट:- शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है। शेयरों, म्यूचुअल फंड्स और अन्य वित्तीय साधनों की कीमतें बाजार की स्थितियों, आर्थिक परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर घट-बढ़ सकती हैं। इसमें पूंजी हानि की संभावना भी शामिल है। इस जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता बढ़ाना है और इसे निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

Facebook



