आईएलएण्डएफएस मामला: सेबी ने तीन रेटिंग एजेंसियों पर जुर्माना बढ़ाकर किया एक-एक करोड़ रुपये किया

आईएलएण्डएफएस मामला: सेबी ने तीन रेटिंग एजेंसियों पर जुर्माना बढ़ाकर किया एक-एक करोड़ रुपये किया

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:36 PM IST
,
Published Date: September 22, 2020 5:56 pm IST
आईएलएण्डएफएस मामला: सेबी ने तीन रेटिंग एजेंसियों पर जुर्माना बढ़ाकर किया एक-एक करोड़ रुपये किया

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को आईएलएण्डएफएस के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर की ऋण साख तय करते समय कोताही बरतने के मामले में रेटिंग एजेंसियों इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स पर जुर्माना बढ़ाकर एक-एक करोड़ रुपये कर दिया।।

विविध कारोबार करने वाली ‘इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस’ (आईएल एण्ड एफएस) में वर्ष 2018 में संकट सामने आया। सरकार ने स्थिति की गंभीरता को भांपते हुये कंपनी के निदेशक मंडल को हटाकर नये हाथों में सौंप दिया था। आईएलएफएस में नकदी संकट सामन आने के बाद से ही कंपनी और उससे जुड़ी इकाइयों पर विभिन्न नियामकों की निगाह बनी हुई है।

बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर 2019 में इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सेबी का कहना था कि रेटिंग कंपनियों की ‘उदासीनता, ढीलेपन और टालमटोल वाले रवैये के चलते’ आईएलएफएस में भुगतान संकट खड़ा हुआ।

कई विशेषज्ञों ने कहा कि सेबी ने रेटिंग एजेंसियों के रवैये को लेकर उन्हें जोरदार लताड़ लगाई है लेकिन जब बात जुर्माने की आई तो उसमें वह परिलक्षित नहीं होती है।

सेबी ने निर्णय अधिकारी (एओ) के आदेश की जांच की और पाया कि एओ द्वारा लगाया गया जुर्माना रेटिंग एजेंसियों के उल्लंघन से बाजार पर पड़े व्यापक प्रभाव के अनुरूप नहीं है। इसी दृष्टिकोण के साथ सक्षम प्राधिकारी ने एओ के निर्णय की समीक्षा की अनुमति दे दी। इसके बाद सेबी ने रेटिंग एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे पूछा कि उनके ऊपर जुर्माना क्यों नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

सेबी ने मंगलवार को जारी तीन अलग-अलग आदेशों में कहा कि इक्रा, केयर रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स की ओर से आईएलएण्डएफएस और उसकी अनुषंगी आईएलएफएस फाइनेंशियल सर्विसेस (आईएफआईएन) की प्रतिभूतियों की रेटिंग तय करने में बरती गई कोताही के कारण निवेशकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

नियामक ने कहा कि इससे कार्पोरेट रिण बाजार में क्रेडिट रेटिंग को लेकर निवेशकों के विश्वास को गहरा झटका पहुंचाया है।

इसके चलते सेबी ने तीनों कंपनियों पर जुर्माने को बढ़ाकर एक-एक करोड़ रुपये कर दिया।

सेबी ने कहा कि इन रेटिंग एजेंसियों पर हल्का जर्माना लगाने का दूसरी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को नुकसान हो सकता है जिन्होंने कानून का पूरी तरह से अनुपालन किया। उसने कहा, ‘‘बोर्ड को बाजार की सत्यनिष्टा की सुरक्षा की जरूरत है। जब इतने बड़े पैमाने पर घोटाला होता है, जो कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिये बनाये गये नियामकीय और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है और उसके लिये चुनौती बनता है, तब यह अहम हो जाता है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के आचरण की सख्त जांच होनी चाहिये और जुर्माना बढ़ाकर निवेशकों के विश्वास को बहाल किया जाना चाहिये।’’

भाषा शरद महाबीर

महाबीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)