नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) भारत ने घरेलू इस्पात उद्योग को सस्ते विदेशी आयात से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कुछ चुनिंदा इस्पात उत्पादों पर तीन साल के लिए रक्षोपाय शुल्क लगा दिया है।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि पहले वर्ष में 12 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा, जो 21 अप्रैल 2025 से 20 अप्रैल 2026 तक लागू रहेगा।
अधिसूचना के अनुसार, दूसरे वर्ष में यह शुल्क घटाकर 11.5 प्रतिशत कर दिया जाएगा, जो 21 अप्रैल 2026 से 20 अप्रैल 2027 तक लागू रहेगा। वहीं, तीसरे वर्ष में इसे और घटाकर 11 प्रतिशत कर दिया जाएगा, जो 21 अप्रैल 2027 से 20 अप्रैल 2028 तक प्रभावी रहेगा।
यह शुल्क व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिश के बाद लगाया गया है।
इससे पहले, इसी वर्ष अप्रैल में सरकार ने इन इस्पात उत्पादों पर 200 दिनों के लिए 12 प्रतिशत की अस्थायी रक्षोपाय शुल्क लगाया था।
पिछले साल दिसंबर में, डीजीटीआर ने ‘नॉन-एलॉय और एलॉय स्टील फ्लैट प्रोडक्ट्स’ के आयात में अचानक बढ़ोतरी की जांच शुरू की थी। ये उत्पाद फैब्रिकेशन, पाइप विनिर्माण, निर्माण कार्य, पूंजीगत उपकरण, वाहन विनिर्माण, ट्रैक्टर, साइकिल और विद्युत पैनल आदि जैसे विभिन्न उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं।
यह जांच इंडियन स्टील एसोसिएशन द्वारा अपने सदस्यों की ओर से की गई शिकायत के बाद की गई थी।
भाषा योगेश रमण
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