भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान: आईएमएफ

भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान: आईएमएफ

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  • Publish Date - July 25, 2023 / 08:25 PM IST,
    Updated On - July 25, 2023 / 08:25 PM IST

वाशिंगटन, 25 जुलाई (भाषा) अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह अप्रैल में जताये गये अनुमान के मुकाबले 0.2 प्रतिशत अधिक है।

आईएमएफ ने कहा कि ताजा अनुमान मजबूत घरेलू निवेश के परिणामस्वरूप 2022 की चौथी तिमाही में उम्मीद से कहीं बेहतर आर्थिक वृद्धि की गति आगे भी जारी रहने का संकेत देता है।

आईएमएफ ने अपने ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा, ‘‘भारत की वृद्धि दर 2023 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह अप्रैल में जताये गये अनुमान से 0.2 प्रतिशत अधिक है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि वैश्विक स्तर पर वृद्धि दर 2022 के 3.5 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले 2023 और 2024 में कम होकर तीन प्रतिशत रहने की संभावना है।

हालांकि, 2023 के लिये अनुमान इस साल अप्रैल में जताये गये अनुमान से कुछ बेहतर है लेकिन ऐतिहासिक मानदंडों के आधार पर वृद्धि दर कमजोर बनी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक के नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है। वैश्विक स्तर पर खुदरा मुद्रास्फीति 2022 के 8.7 प्रतिशत से घटकर 2023 में 6.8 प्रतिशत और 2024 में 5.2 प्रतिशत पर आने की संभावना है।

मुद्राकोष ने कहा कि अमेरिका में कर्ज सीमा को लेकर गतिरोध के हाल में समाधान और इस साल की शुरुआत में अमेरिका तथा स्विट्जरलैंड में कुछ बैंकों के विफल होने के बाद उद्योग में उथल-पुथल रोकने के लिये अधिकारियों के कड़े कदम से वित्तीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव का जोखिम कम हुआ है।

इससे परिदृश्य को लेकर जोखिम कुछ कम हुआ है। हालांकि, वैश्विक वृद्धि को लेकर जोखिम अभी बना हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर और झटके आते हैं, तो मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है और यहां तक ​​कि बढ़ भी सकती है। इसमें यूक्रेन में युद्ध तेज होने और मौसम से जुड़ी चुनौतियों के कारण सख्त मौद्रिक नीति रुख शामिल है।

इसमें कहा गया है केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति को आगे और कड़ा किये जाने से वित्तीय क्षेत्र में कुछ समस्या हो सकती है। चीन में रियल एस्टेट क्षेत्र में समस्या के कारण पुनरुद्धार की गति धीमी हो सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘सरकारी स्तर पर कर्ज संकट कई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है। अच्छी बात यह है कि मुद्रास्फीति उम्मीद से अधिक तेजी से नीचे आ सकती है। इससे कड़ी मौद्रिक नीति की जरूरत नहीं होगी और घरेलू मांग और ज्यादा मजबूत हो सकती है।’’

भाषा

रमण अजय

अजय