रायपुरः Vishnu Ka Sushasan छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों में साय सरकार ने सुशासन को प्राथमिकता बनाते हुए कानून-व्यवस्था, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा, आदिवासी कल्याण और विकास कार्यों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। सत्ता संभालने के बाद सरकार ने प्रशासनिक सख्ती और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के जरिए राज्य को नई दिशा देने की कोशिश की है। साय के कार्यों से प्रदेश में विकास के एक नया वातावरण दिख रहा है। एक ओर जहां महतारी वंदन योजना से महिलाएं खुश हैं तो दूसरी ओर धान की कीमत 3100 रुपए पाकर किसानों के चेहरे खिले हुए हैं।
Vishnu Ka Sushasan दो साल के अपने कार्यकाल में साय सरकार ने कृषि और किसानों को केंद्र में रखा। धान उत्पादक किसानों को ₹3,100 प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य देकर सरकार ने देशभर में एक मिसाल कायम की। इसके साथ ही प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी की सीमा तय कर किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की गई। वर्ष 2023–24 में 14.49 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई, जिससे 24.75 लाख किसानों को सीधा लाभ मिला। पूर्व वर्षों का ₹3,716 करोड़ बोनस और ₹13,320 करोड़ अंतर राशि सीधे किसानों के खातों में अंतरित की गई। छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है। कृषि इस राज्य की रीढ़ है और किसानों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। बकाया धान बोनस भुगतान, पीएम किसान सम्मान निधि, सौर सुजला योजना जैसी योजनाएं किसानों को समृद्धि की ओर ले जा रही हैं।
राज्य सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिक क्षेत्र मानते हुए ठोस और दूरगामी कदम उठाए हैं। स्कूलों की अधोसंरचना को सुदृढ़ किया गया है, डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई को बढ़ावा मिला है और पीएम श्री विद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में कार्य हुआ है। छात्रवृत्ति योजनाओं और शालाओं के युक्तियुक्तकरण से संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया गया, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार देखने को मिला है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। चिकित्सा सेवाओं के ढांचे को मजबूत करते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया गया है। नए मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना से दूरस्थ और आदिवासी इलाकों तक बेहतर इलाज की पहुंच संभव हो सकी है।
राज्य में सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास को भी नई गति मिली है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित राज्य सरकार की योजनाओं से गांवों को सड़क नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। रेलवे, हवाई सेवाओं और शहरी अधोसंरचना में सुधार से आवागमन और संपर्क व्यवस्था मजबूत हुई है। रायपुर का नया रेल कॉरिडोर, रायपुर–विशाखापट्टनम सड़क परियोजना, जगदलपुर हवाई सेवा और बिलासपुर स्मार्ट सिटी परियोजना राज्य के विकास की दिशा को दर्शाती हैं। रावघाट और जगदलपुर के बीच 3,500 करोड़ रुपये की रेल लाइन के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। कोठागुडेम से किरंदुल रेलवे लाइन के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है, जबकि खरसिया-परमलकसा लाइन प्रमुख औद्योगिक केंद्रों को जोड़ेगी। हवाई मालवाहक सेवाएँ भी शुरू हो गई हैं। वहीं छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकसंस्कृति, नृत्य, संगीत और जनजातीय परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भी सरकार सक्रिय रही है। हरेली, छेरछेरा, तीजा-पोरा और करमा जैसे पारंपरिक पर्व राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित होने वाले स्थानीय महोत्सवों और लोकपर्वों के माध्यम से सरकार सांस्कृतिक विविधता को मंच प्रदान कर रही है। बस्तर दशहरा जैसे ऐतिहासिक लोक उत्सव को अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है।
उद्योग किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। उद्योग न केवल आर्थिक विकास को गति देते हैं, बल्कि रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और जीवन स्तर में सुधार में भी सहायक होते हैं। यहीं वजह है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ की सुशासन सरकार प्रदेश में नई औद्योगिक नीति बनाकर उद्योगों को बढ़ावा देने और उनके विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है। छत्तीसगढ़ में इसका अच्छा प्रतिसाद भी देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में साय सरकार गठित होने के बाद 1,23,073 करोड़ कुल निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसके अलावा 20,627 नए रोजगार के अवसर भी छत्तीसगढ़ के युवाओं को प्राप्त हुए हैं।
महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से महतारी वंदन योजना शुरू की गई। योजना के तहत लगभग 70 लाख महिलाओं को ₹1,000 प्रतिमाह की सीधी सहायता दी जा रही है। अब तक ₹14,000 करोड़ से अधिक की राशि महिलाओं के खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है। इस योजना से महिलाओं को घरेलू जरूरतों, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी फैसलों में आत्मनिर्भरता मिली है, जिसका सामाजिक प्रभाव विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में देखा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ की साय सरकार बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के लिए बेहतर रणनीति बनाई है। अंदरूनी इलाकों में नए कैंप खोले जा रहे हैं। कैंप स्थापित होने से नक्सलियों की कमर टूट चुकी हैं। इतना ही नहीं लगातार फोर्स के दबाव के चलते इलाके के सैंकड़ों नक्सलियों ने मुख्य धारा में लौट आए हैं। कभी नक्सल हिंसा के लिए जाना जाने वाला बस्तर अब “विकसित बस्तर” के सपने को साकार कर रहा है। लगभग 90,000 युवाओं ने कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि 40,000 से अधिक युवाओं को रोज़गार प्रदान किया गया है। इस क्षेत्र में विशेष निवेश प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। विश्व स्तर पर अद्वितीय बस्तर दशहरा को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के लिए पंजीकृत किया जा रहा है। तीरथगढ़ ग्लास ब्रिज और बस्तर पर्यटन सर्किट जैसे पर्यटन स्थलों का सक्रिय विकास किया जा रहा है। इसके अलावा, आदिवासी उद्यमियों को सहायता देने के लिए रॉयल्टी प्रतिपूर्ति और सब्सिडी की शुरुआत की गई है।