उद्योग जगत ने ब्रॉडबैंड की परिभाषा बदलने, सीमा दो एमबीपीएस तक बढ़ाने की मांग की

उद्योग जगत ने ब्रॉडबैंड की परिभाषा बदलने, सीमा दो एमबीपीएस तक बढ़ाने की मांग की

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  • Publish Date - November 15, 2020 / 08:41 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) उद्योग संगठन बीआईएफ ने देश में ब्रॉडबैंड की परिभाषा बदलने की मांग की है। संगठन का कहना है कि यह बदलाव लंबे समय से लंबित है। अब समय आ गया है कि इसकी परिभाषा बदले और स्पीड की सीमा को मौजूदा 512 केबीपीएस से अढ़ाकर दो एमबीपीएस किया जाये।

ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने कहा कि पिछले कुछ सालों में संचार की प्रौद्योगिकी तेजी से बदली है। देश में डेटा सेवाओं का पूरी तरह से नया बाजार सामने आया है। अभी कई सारे ऐसे आधुनिक इंटरनेट उपकरण हैं और ऐसी जरूरतें हैं, जिनके लिये मौजूदा सीमा से अधिक स्पीड की जरूरत होती है।

बीआईएफ ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से कहा, ‘‘हमारा यह मानना है कि ब्रॉडबैंड की मौजूदा परिभाषा न तो प्रौद्योगिकी के विकास के और न ही अधिक स्पीड वाली ब्रॉडबैंड सेवाओं की भारतीय उपभोक्ताओं की चाह के अनुकूल है। अत: ऐसे में निश्चित ही इसकी समीक्षा की जानी चाहिये और इसे बदला जाना चाहिये।’’

बीआईएफ ने नियामक के परामर्श पत्र ‘ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और विस्तृत ब्रॉडबैंड स्पीड की रूपरेखा’ को लेकर यह सुझाव दिया है।

ट्राई ने ‘क्या ब्रॉडबैंड की मौजूदा परिभाषा की समीक्षा किये जाने की जरूरत है’ और ‘क्या डाउनलोड व अपलोड स्पीड की सीमा को बदला जाना चाहिये’ समेत विभिन्न मुद्दों पर संबंधित पक्षों की राय जानने के लिये यह परामर्श पत्र जारी किया था।

बीआईएफ के अध्यक्ष टीवी रामाचंद्रन ने इस बारे में संपर्क किये जाने पर कहा कि 512 केबीपीएस स्पीड की मौजूदा परिभाषा काफी कम है। इसे बढ़ाकर दो एमबीपीएस किया जाना चाहिये। यह लंबे समय से लंबित है।

बीआईएफ का कहना है कि 4जी आ जाने के बाद भी भारत में ब्रॉडबैंड स्पीड वैश्विक मानकों की तुलना में आधी है।

संगठन ने कहा कि कम से कम दो एमबीपीएस की डाउनलोड व अपलोड स्पीड वाली इंटरनेट सेवाओं को ही ब्रॉडबैंड कहा जाना चाहिये।

भाषा सुमन मनोहर

मनोहर