उमंग ऐप का अंतरराष्ट्रीय संस्करण विदेश जाने वाले भारतीय पर्यटक, छात्र, अन्य के लिए उपयोगी

उमंग ऐप का अंतरराष्ट्रीय संस्करण विदेश जाने वाले भारतीय पर्यटक, छात्र, अन्य के लिए उपयोगी

उमंग ऐप का अंतरराष्ट्रीय संस्करण विदेश जाने वाले भारतीय पर्यटक, छात्र, अन्य के लिए उपयोगी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:11 pm IST
Published Date: November 23, 2020 4:18 pm IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) सरकार ने सोमवार को उमंग ऐप का अंतरराष्ट्रीय संस्करण पेश करने की घोषणा की। यह संस्करण विदेश जाने वाले भारतीय पर्यटकों, अनिवासी भारतीयों और भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए उपयोगी होगा।

उमंग (युनिफाइड मोबाइल ऐप्लिकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस) ऐप भारत सरकार की एकीकृत, बहु-भाषी, बहु-माध्यम और बहु-सेवाएं देने वाली मोबाइल ऐप है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों और सेवाओं तक लोगों की आसान पहुंच सुनिश्चित करती है।

इस ऐप की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री रविशंकर ने एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया। इसी दौरान इसके अंतरराष्ट्रीय संस्करण को पेश करने की घोषणा की गयी।

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अब उमंग ऐप का अंतरराष्ट्रीय संस्करण अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, सिंगापुर और न्यूजीलैंड में उपलब्ध होगा। इसकी मदद से अनिवासी भारतीय, भारतीय छात्र एवं पर्यटक किसी भी समय पर भारत सरकार और राज्य सरकार की सेवाओं का उपयोग कर पाएंगे।

इस मौके पर प्रसाद ने कहा कि देश में 3.75 लाख साझा सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से उमंग ऐप पर सेवाएं नागरिकों को उपलब्ध हैं। कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस-एआई) के माध्यम से इसे ऐसे लोगों तक पहुंचाया जा सकता है जो डिजिटल दुनिया की भाषा को आसानी से नहीं समझते हैं।

उन्होंने कहा कि उमंग ऐप को आवाज के निर्देश पर काम करने वाली ऐप के तौर पर विकसित करने के लिए एआई प्रौद्योगिकी के उपयोग की संभावना पर ध्यान देना चाहिए।

प्रसाद ने कहा, ‘‘ क्या उमंग को आवाज के निर्देश पर काम करने वाली ऐप बनाने के लिए एआई का कुछ उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि आज यह सीएससी से जुड़ी है। देश के सुदूरतम इलाकों में आम लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। उमंग ऐप ने वहां तक पहुंच बनायी है जो यह अहम है कि इसे आवाज के निर्देश पर काम करने वाली ऐप बनाने पर ध्यान दिया जाए और इसके लिए एआई की संभावनाओं को तलाशा जाए।’’

उन्होंने कहा कि इसे करने में ध्यान रखा जाए कि यह उन लोगों की भाषा समझने में सक्षम हो जो डिजिटल दुनिया की भाषा के साथ सहज नहीं है।

भाषा शरद मनोहर

मनोहर


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