बेरोजगार दर मार्च तिमाही में घटकर 6.7 प्रतिशत पर आई: सरकारी सर्वे

बेरोजगार दर मार्च तिमाही में घटकर 6.7 प्रतिशत पर आई: सरकारी सर्वे

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  • Publish Date - May 15, 2024 / 07:30 PM IST,
    Updated On - May 15, 2024 / 07:30 PM IST

नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) देश के शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर 6.7 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.8 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) ने यह जानकारी दी है।

बेरोजगारी दर को कुल श्रम बल में बेरोजगार लोगों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।

वित्त वर्ष 2022-23 की मार्च तिमाही में बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत थी जबकि पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून के साथ जुलाई-सितंबर 2023 तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत थी। अक्टूबर-दिसंबर 2023 में यह 6.5 प्रतिशत थी।

निश्चित अवधि पर होने वाले 22वें श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के मुताबिक जनवरी-मार्च 2024 के दौरान शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के मामले में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत थी।

आंकड़ों से यह भी पता चला कि शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2024 में घटकर 8.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 9.2 प्रतिशत थी।

अप्रैल-जून 2023 में यह 9.1 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर 2023 में 8.6 प्रतिशत और अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 8.6 प्रतिशत थी।

पुरुषों में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर आलोच्य तिमाही में बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में छह प्रतिशत थी। अप्रैल-जून 2023 में यह 5.9 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर 2023 में छह प्रतिशत और अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 5.8 प्रतिशत थी।

शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में श्रम बल भागीदारी दर मार्च तिमाही में बढ़कर 50.2 प्रतिशत हो गई। यह एक साल पहले इसी अवधि में 48.5 प्रतिशत थी।

एनएसएसओ के अनुसार अप्रैल-जून 2023 में यह 48.8 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर 2023 में 49.3 प्रतिशत और अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 49.2 प्रतिशत थी।

श्रम बल से तात्पर्य आबादी के उस हिस्से से है, जो वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए श्रम की आपूर्ति करता है या आपूर्ति करने की पेशकश करता है। इस तरह श्रम बल में रोजगार पाने वाले और बेरोजगार दोनों व्यक्ति शामिल होते हैं।

एनएसएसओ ने पीएलएफएस अप्रैल 2017 में शुरू किया था। इस सर्वे के आधार पर एक तिमाही रिपोर्ट निकाली जाती है जिसमें बेरोजगारी दर, कामकाजी आबादी अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) का अनुमान रखा जाता है।

भाषा रमण प्रेम

प्रेम