गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिये प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की जरूरत: उद्योग

गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिये प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की जरूरत: उद्योग

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  • Publish Date - January 10, 2021 / 11:59 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) उद्योग ने कहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गैस आधारित अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण को हकीकत रूप देने और सकल ऊर्जा संसाधनों में पर्यावरण अनुकूल ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये सरकार को प्राकृतिक गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना चाहिए।

प्राकृतिक गैस फिलहाल जीएसटी के दायरे से बाहर है और इस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य वैट (मूल्य वर्धित कर), केंद्रीय बिक्री कर लागू है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (एफआईपीआई) ने कहा कि प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में नहीं लाने से इसकी कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही पहले से चली आ रही कर व्यवस्था का असर प्राकृतिक गैस उद्योग पर पड़ रहा है।

वित्त मंत्रालय को बजट से पहले सौंपे गये ज्ञापन में एफआईपीआई ने कहा कि विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक गैस पर वैट काफी ऊंचा है। उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में यह 14.5 प्रतिशत, गुजरात में 15 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 14 प्रतिशत है।

इसमें कहा गया है, ‘‘चूंकि गैस आधारित उद्योग को वैट पर टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता, ऐसे में संबंधित औद्योगिक ग्राहकों की उत्पादन लागत बढ़ती है और अर्थव्यवस्था पर इसका स्फीतिक प्रभाव पड़ता है।’’

प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, ईंधन के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और विभिन्न प्रकार के करों के कारण उत्पन्न समस्या नहीं होगी।

प्रधानमंत्री ने कुल ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 2030 तक मौजूदा 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ने से ईंधन लागत कम होगी। साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी जिससे देश को सीओपी (कांफ्रेन्स ऑफ पार्टीज)-21 प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

एफआईपीआई ने प्राकृतिक गैस के पाइपलाइन के जरिये परिवहन सेवा पर भी जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने की मांग की है।

फिलहाल पाइपलाइन के जरिये प्राकृतिक गैस परिवहन से जुड़ी सेवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत (इनपुट टैक्स क्रेडिट लाभ के साथ) और 5 प्रतिशत (बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के) है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर