एफटीए में मोटर वाहन कलपुर्जों पर शुल्क रियायत के लिए सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत: एसोचैम अध्यक्ष

एफटीए में मोटर वाहन कलपुर्जों पर शुल्क रियायत के लिए सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत: एसोचैम अध्यक्ष

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  • Publish Date - December 10, 2025 / 10:31 AM IST,
    Updated On - December 10, 2025 / 10:31 AM IST

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) एसोचैम के अध्यक्ष निर्मल कुमार मिंडा ने यूरोपीय संघ के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत मोटर वाहन कलपुर्जों पर आयात शुल्क में अंधाधुंध कटौती को लेकर आगाह किया और कहा कि घरेलू विनिर्माताओं खासतौर पर सूक्षम, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को नुकसान से बचाने के लिए ऐसी रियायतें ‘‘सोच-समझकर’’ दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि प्रस्तावित समझौते के तहत यूरोपीय संघ (ईयू) को दी जाने वाली शुल्क रियायतों से घरेलू कंपनियों को उन्नत प्रौद्योगिकी, बड़े बाजारों एवं स्थिर आपूर्ति श्रृंखलाओं तक पहुंच मिलती है तो उन पर विचार करना सही होगा खासकर उन उत्पादों के लिए जिनमें भारत को लागत के मामले में लाभ मिलता है।

मिंडा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को ई-मेल के जरिये दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘हालांकि पूर्ण कटौती से घरेलू आपूर्तिकर्ताओं खासतौर पर एमएसएमई को नुकसान हो सकता है क्योंकि यूरोपीय संघ के घटक अक्सर मजबूत पैमाने, स्वचालन एवं सब्सिडी वाले होते हैं।’’

भारत और 27 देशों का यूरोपीय संघ 2007 से एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। नौ दिसंबर को दोनों पक्षों ने समझौते पर एक उच्च स्तरीय बैठक की।

यूरोपीय संघ देश के मोटर वाहन एवं घटक क्षेत्रों में आयात शुल्क में रियायत की मांग कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में मोटर वाहन घटकों पर शुल्क रियायतों के लिए एक बहुत ही सुविचारित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यूरोपीय संघ के साथ, सवाल केवल शुल्क का नहीं है बल्कि समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता समीकरण का है।

मिंडा अग्रणी मोटर वाहन उपकरण विनिर्माता कंपनी ऊनो मिंडा के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) भी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए किसी भी रियायत को स्पष्ट पारस्परिकता, चरणबद्ध समयसीमा और सुरक्षा उपायों से जोड़ा जाना चाहिए ताकि भारत के विनिर्माण आधार की निरंतर वृद्धि सुनिश्चित हो सके।’’

मिंडा से पूछा गया था कि क्या वह यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में मोटर वाहन घटकों पर शुल्क रियायतें देने के पक्ष में हैं।

उन्होंने कहा कि नए व्यापार समझौतों से बाजार पहुंच में सुधार, शुल्कों में कमी तथा विनिर्माण, प्रौद्योगिकी एवं सेवाओं को समर्थन देने वाली दीर्घकालिक निवेश प्रतिबद्धताओं में मदद मिली है।

कई क्षेत्रों में निर्यात में बेहतर रुझान देखने को मिल रहा है हालांकि सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यमों को इन अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए अब भी समर्थन की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भविष्य में, अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित बड़े विकसित बाजारों के साथ किसी भी संभावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में पारस्परिक शुल्क अपेक्षाओं, नियामक मानकों एवं संवेदनशील उत्पाद श्रेणियों पर सावधानी से ध्यान दिए जाने की जूरूरत है।’’

मिंडा ने कहा कि यदि इन्हें अच्छी तरह से तैयार किया जाए, तो ऐसे समझौते भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं और हमारे उद्योगों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अधिक एकीकृत होने में मदद कर सकते हैं।

भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और चार देशों के समूह यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) सहित कई देशों के साथ व्यापार समझौते किए हैं। इसने ब्रिटेन के साथ भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

भाषा

निहारिका जोहेब

जोहेब