बिहार की महिला उद्यमियों की राय: सरकारी नीतियों के प्रति जागरुकता के लिये पहल शुरू करने की आवश्यकता

बिहार की महिला उद्यमियों की राय: सरकारी नीतियों के प्रति जागरुकता के लिये पहल शुरू करने की आवश्यकता

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  • Publish Date - September 6, 2020 / 05:00 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

पटना, छह सितंबर (भाषा) बिहार की महिला उद्यमियों का कहना है कि सरकारी नीतियों के प्रति जागरूकता तथा नये व्यवसायों के प्रोत्साहन के लिये पहलों की कमी उनके स्टार्टअप को आगे ले जाने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है।

बिहार महिला उद्योग संघ तथा महिला उद्यमियों के अन्य प्रतिनिधि संगठनों ने एक वेबिनार में इन बातों पर चर्चा की। उन्होंने माना कि एक महिला को उद्यम शुरू करने को प्रोत्साहित करने के लिये नियमित पहल चलाने की आवश्यकता है।

इस वेबिनार का आयोजन महिला उद्यमियों के लिये जानकारियां उपलब्ध कराने वाले मंच शीएटवर्क-आत्मनिर्भरशी ने किया।

शीएटवर्क-आत्मनिर्भर की संस्थापिका रूबी सिन्हा ने कहा, ‘‘हम में से अधिकांश लोग केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा महिला उद्यमियों के लिये बनायी गयी नीतियों या दिये जाने वाले प्रोत्साहन के बारे में नहीं जानते हैं। हमें इस बारे में जागरुकता बढ़ाने के प्रयास करने की जरूरत है।’’

इसमें शामिल विशेषज्ञों ने बिहार में महिला उद्यमियों के लिए चुनौतियों और सफलता की कहानी गढ़ने के लिए डिजिटल टूल्स के उपयोग के रास्तों पर चर्चा की। सिन्हा ने कहा, ‘ महिला उद्यमियों में से ज्यादातर

लोग केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा महिला उद्यमियों के लिए लागू की गई नीतियों प्रोत्साहन के बारे में वाकिफ नहीं हैं।

उन्होंने रपटों के हवाले से कहा कि बिहार में स्थापित ज्यादातर महिला उद्यमियों ने वित्त पोषण खुद के संसाधनों से किया है। केवल 5 प्रतिशत महिला उद्यमियों को सरकार से वित्तीय सहायता मिली है।जबकि महज 1 प्रतिशत ने वित्तीय संस्थानों से ऋण लिया है।’ उन्होंने कहा कियह स्थिति तब है जब सरकार ने 2017 में 500 करोड़ रूपये की बिहार स्टार्टअप नीति घोषित की है।

वक्ता इस बात पर एक मत थे कि कोविड-19 को देखते हुए अधिक संख्या में कारोबारियों ने डिजिटल

टूल्स को आत्मसात किया है और महिलाओं को यह समझने एवं स्वीकार करने की जरूरत है कि इस तरह के

डिजिटल बाजार उनके उद्यमों को सहयोग कर सकते हैं।

बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष और पेटल्स क्राफ्ट की संस्थापक ऊषा झा ने कहा, ‘ अनुभव और संचार कौशल की कमी की वजह से बिहार की महिला उद्यमी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को पेश करने में असमर्थ रही हैं। सोल्यूशंस की वाइस चेयरपर्सन सोनिया संजय सिन्हा ने कहा, ‘इस राज्य में महिला उद्यमियों के सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियों में परिवार का दबाव, लालन पालन, समाज और लिंग भेद व सामाजिक आर्थिक पुरानी सोच है।’

ब्रांड रेडियेटर की सह संस्थापक और सीईओे हिमानी मिश्रा ने कहा, राज्य सरकार के

लिये एक महिला अनुकूल कारोबारी पारितंत्र तैयार करना महत्वपूर्ण है। इनमें सख्त पात्रता के मानकों में ढील,

कारोबार की सीमा महिला आबादी में उनकी विशेषज्ञता के साथ कौशल का सही आकलन आदि शामिल है।

भाषा सुमन मनोहर

मनोहर