उदार मौत्रिक नीति को समय से पहले वापस लेने से अर्थव्यवस्था का पुनरोद्धार प्रभावित होगा : दास

उदार मौत्रिक नीति को समय से पहले वापस लेने से अर्थव्यवस्था का पुनरोद्धार प्रभावित होगा : दास

उदार मौत्रिक नीति को समय से पहले वापस लेने से अर्थव्यवस्था का पुनरोद्धार प्रभावित होगा : दास
Modified Date: November 29, 2022 / 07:51 pm IST
Published Date: December 18, 2020 3:10 pm IST

मुंबई, 18 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखने के लिए मत दिया था।

दास का कहना था कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से उबरने के लिए लागू की गई नीतियों को समय से पहले हटाने से अभी शुरू हुई वृद्धि की राह पर वापसी प्रभावित हो सकती है। मौद्रिक समीक्षा बैठक के ब्योरे से यह जानकारी मिली है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सभी सदस्यों…शशांक भिड़े, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा, मृदुल के सागर, माइकल देवब्रत पात्रा तथा दास ने चार दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को पूर्व के स्तर पर बनाए रखने के पक्ष में मत दिया था।

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केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बैठक के ब्योरे के अनुसार, दास ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है, जो मौजूदा समय में मौद्रिक नीति के लिए एक चुनौती है। इसी के साथ हालांकि, अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू हो चुका है लेकिन इसे व्यापक और टिकाऊ बनाने के लिए वृद्धि को लगातार समर्थन देने की जरूरत है।’’

गवर्नर ने कहा कि कर्ज सस्ता और सुलभ रखने की वर्तमान नीति को वापस लेने से अर्थव्यवस्था में जो शुरुआती पुनरोद्धार है, वह प्रभावित होगा।

एमपीसी की तीन दिन (दो दिसंबर से चार दिसंबर) की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर यथावत रखा। इसके लिए रिजर्व बैंक ने ऊंची मुद्रास्फीति का हवाला दिया था।

भाषा अजय अजय मनोहर

मनोहर


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