मुंबई, 29 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्त संस्थानों से अपने ऋण बही-खाते में दबाव बनने पर नजर रखने को कहा है।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ‘बैंकिंग में रुझान और प्रगति’ रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में दक्षिणी राज्यों में ऋण वितरण कम रहा। यह रिपोर्ट कर्नाटक और तमिलनाडु में उद्योग को प्रभावित करने वाले कई कदमों के बीच आई है।
इसके मुताबिक प्रदर्शन में सुधार के लिए उद्योग ने कई कदम उठाए हैं और साथ ही ”विनियमित इकाइयों को इस खंड में आगे चलकर दबाव बनने पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।”
पिछली कुछ तिमाहियों में ऋणदाताओं को सूक्ष्म वित्त खंड में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसका कारण उधारकर्ताओं पर अत्यधिक कर्ज का बोझ रहा। इसके चलते उद्योग ने मिलकर कुछ सुरक्षा उपाय अपनाए, जिनमें एक ही उधारकर्ता को दिए जाने वाले ऋणों की संख्या सीमित करना भी शामिल है।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, स्व-नियामक संगठनों माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) और सा-धन ने इन सुरक्षा उपायों को लागू किया है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में स्थिर और संतुलित वृद्धि को प्राथमिकता देना है।
आरबीआई ने कहा कि 2022 में सूक्ष्म वित्त ऋणों के लिए नियामकीय ढांचे में किए गए उसके संशोधनों ने इस क्षेत्र में प्रणालीगत और टिकाऊ वृद्धि की नींव रखी।
केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि यह ढांचा वित्तीय समावेश को आगे बढ़ाने के एक प्रभावी साधन के रूप में कार्य करते हुए सामाजिक समानता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है।
भाषा पाण्डेय रमण
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