रिलायंस जियो समुद्री दूरसंचार-केबल नेटवर्क बिछाने की वैश्विक मुहिम में शामिल

रिलायंस जियो समुद्री दूरसंचार-केबल नेटवर्क बिछाने की वैश्विक मुहिम में शामिल

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  • Publish Date - May 17, 2021 / 03:02 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) रिलायंस इंस्ट्रीज की दूरसंचार इकाई रिलायंस जियो भारत और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट (डेटा) की जरूरतों को पूरा करने के लिये अंतरराष्ट्रीय सबमरीन केबल प्रणाली बिछाने में जुटी है। कंपनी ने इसके लिये विश्व की कई प्रमुख वैश्विक साझेदारों और विश्व स्तरीय सबमरीन केबल आपूर्ति सबकॉम के साथ हाथ मिलाया है।

देश की प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो ने सोमवार को एक बयान में कहा कि फिलहाल उसकी अगली पीढ़ी की दो सबमरीन केबल डालने की योजना है। इसमें एक प्रणाली भारत को सिंगापुर, थाईलैंड और मलेशिया तथा दूसरी इटली और पश्चिम एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका क्षेत्रों के रास्ते एशिया प्रशांत बाजारों से जोड़ेगी।

बयान के अनुसार, ‘‘रिलायंस जियो भारत और आसपास के क्षेत्रों के डेटा जरूरतों को पूरा करने के लिये अंतरराष्ट्रीय सबमरीन केबल प्रणाली तैयार कर रही है। क्षेत्र में डेटा की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि को देखते हुए कंपनी फिलहाल अगली पीढ़ी की दो सबमरीन केबल डालेगी।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘भारत-एशिया-एक्सप्रेस (आईएएक्स) प्रणाली भारत को पूर्व की ओर सिंगापुर और उससे आगे कनेक्ट करेगी जबकि भारत-यूरोप-एक्सप्रेस (आईईएक्स) प्रणाली भारत को पश्चिम की ओर पश्चिम एशिया और यूरोप से जोड़ेगी।’’

आईएएक्स और आईईएक्स से भारत और भारत से बाहर डेटा और क्लाउड सेवाओं को पहुंचाने की क्षमता बढ़ेगी तथा ग्राहकों को और बेहतर सेवाएं मिलेगी।

बयान के अनुसार इस उच्च गति की प्रणाली से 16,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक 200 टीबीपीएस (टेरा बिट प्रति सेकेंड) से अधिक की क्षमता प्रदान करेगा।

रिलायंस जियो के अध्यक्ष मैथ्यू ओमन ने इस बारे में कहा, ‘‘…रिलायंस जियो स्ट्रीमिंग वीडियो, रिमोट वर्कफोर्स, 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी मांगों को पूरा करने के लिए अपनी तरह के पहले भारत-केंद्रित आईएएक्स और आईईएक्स सिस्टम बनाने का नेतृत्व कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के बीच इस महत्वपूर्ण काम को अंजाम तक पहुंचाना एक चुनौती है किंतु इस महामारी ने डिजिटल सेवाओं के लिए उच्च-स्तरीय ‘कनेक्टिविटी’ की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर