खाने का सामान महंगा होने से नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 0.71 प्रतिशत पर पहुंची

खाने का सामान महंगा होने से नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 0.71 प्रतिशत पर पहुंची

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 07:08 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 07:08 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 0.71 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि अक्टूबर में यह 0.25 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर थी। सरकारी आंकड़ों से शुक्रवार को यह जानकारी मिली।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में लगातार दसवें महीने आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य के नीचे रही। यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति एक प्रतिशत से भी कम रही।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति में 3.91 प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि अक्टूबर में यह गिरावट 5.02 प्रतिशत थी।

नवंबर में कुल (हेडलाइन) और खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस एवं मछली, मसाले, ईंधन और बिजली की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई।

ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति नवंबर में 2.32 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर में 1.98 प्रतिशत थी।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कुछ सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी और तुलनात्मक आधार सामान्य होते रहने से अगली खुदरा मुद्रास्फीति 1.5 प्रतिशत को पार कर सकती है।

उन्होंने कहा, ‘वृद्धि एवं मुद्रास्फीति के बदलते परिदृश्य के साथ आगामी केंद्रीय बजट में घोषित होने वाले वित्तीय उपाय भी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक के फैसलों की राह दिखाएंगे। हमारा मत है कि फरवरी 2026 में एमपीसी नीतिगत ब्याज दर को स्थिर रखेगी।’

उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के महासचिव एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी रंजीत मेहता ने कहा कि अगले दो तिमाहियों में मुद्रास्फीति खाद्य कीमतों में स्थिरता, जीएसटी दरों के संतुलन, बिजली की उचित कीमतें और आरबीआई की रणनीतिक मौद्रिक नीतियों के कारण प्रबंधन-योग्य दायरे में रहेगी।

कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘मुद्रास्फीति के आगे चलकर बढ़ने का अनुमान है लेकिन अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही तक यह अपेक्षाकृत नियंत्रित ही रहेगी। आरबीआई ने अगले कदम आंकड़ों के आधार पर ही उठाने का संकेत दिया है, लिहाजा रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की संभावना बनी हुई है।’

हालांकि भारद्वाज ने कहा कि ब्याज दर में कटौती का दौर अब समाप्ति की ओर है, और इसके बाद लंबी अवधि के लिए दर में स्थिरता बनी रहेगी।

मुद्रास्फीति कम होने से आरबीआई इस साल रेपो दर में कुल 1.25 प्रतिशत अंक की कटौती कर चुका है। आरबीआई ने दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को भी 2.6 प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दिया।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण