महामारी के बाद असमानता बढ़ाने वाले पुनरुद्धार के दावे दोषपूर्ण और मनगढ़ंतः एसबीआई रिसर्च

महामारी के बाद असमानता बढ़ाने वाले पुनरुद्धार के दावे दोषपूर्ण और मनगढ़ंतः एसबीआई रिसर्च

महामारी के बाद असमानता बढ़ाने वाले पुनरुद्धार के दावे दोषपूर्ण और मनगढ़ंतः एसबीआई रिसर्च
Modified Date: January 8, 2024 / 10:09 pm IST
Published Date: January 8, 2024 10:09 pm IST

नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) भारत में एक तिहाई से अधिक करदाताओं के आयकर की ऊंची श्रेणियों में जाने और शीर्ष करदाताओं का योगदान घटने के साथ आय असमानता में गिरावट दर्ज की गई है। एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग ने महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार में असमानता बढ़ने की चर्चाओं को नकारने वाली एक रिपोर्ट में यह दावा किया है।

तमाम आर्थिक विशेषज्ञों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार ‘के-आकार’ में होने की बात कही है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था के अलग-अलग हिस्सों की वृद्धि समान ढंग से नहीं हुई है और कमजोर तबका अधिक गरीब होता जा रहा है। इस तरह की राय रखने वाले विशेषज्ञों में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हैं।

एसबीआई के सोमवार को जारी एक शोध पत्र में इन दावों को खारिज करते हुए कहा गया है कि ‘के-आकार’ के पुनरुद्धार संबंधी चर्चाएं ‘दोषपूर्ण, पूर्वाग्रह से ग्रसित और मनगढ़ंत हैं। इसके साथ ही यह चुनिंदा तबकों के हितों को बढ़ावा देने वाली भी है जिनके लिए भारत का बेहतरीन उत्थान, जो नए वैश्विक दक्षिण के पुनर्जागरण का संकेत देता है, काफी अप्रिय है।“

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रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कर योग्य आय के गिनी गुणांक (आय असमानता का सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला साधन) के माध्यम से चिह्नित आय असमानता वित्त वर्ष 2014-22 के दौरान 0.472 से घटकर 0.402 तक आ गई है।’

इसके अलावा एसबीआई का अनुमान है कि आकलन वर्ष 2022-23 में गिनी गुणांक और भी घटकर 0.402 हो जाएगा। रिपोर्ट में भारतीय संदर्भ में पहली बार असमानता के अनुमान को मापने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आयकर आंकड़ों का उपयोग किया गया।

इसके साथ ही 36.3 प्रतिशत करदाता निम्न आय श्रेणी से उच्च आयकर श्रेणी में चले गए हैं, जिससे 21.3 प्रतिशत अतिरिक्त आय हुई। लेकिन शीर्ष 2.5 प्रतिशत करदाताओं का अंशदान वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 2.81 प्रतिशत से घटकर 2.28 प्रतिशत पर आ गया।

रिपोर्ट कहती है कि 19.5 प्रतिशत छोटी कंपनियां एमएसएमई मूल्य श्रृंखला एकीकरण के माध्यम से बड़ी कंपनियों में परिवर्तित हो गई हैं और महामारी के बाद निचली 90 प्रतिशत आबादी की खपत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आय बढ़ने से लोग अब दोपहिया वाहनों की जगह चार-पहिया वाहनों का उपयोग कर रहे हैं।

देश में महिला करदाताओं की संख्या कम-से-कम 15 प्रतिशत है जबकि अर्ध-शहरी क्षेत्रों में दो करोड़ लोग जोमैटो के जरिये खाना मंगवा रहे हैं।

हालिया आंकड़ों के मुताबिक, पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं की तरफ से दाखिल आयकर रिटर्न (आईटीआर) की संख्या 2013-14 से 2021-22 के दौरान 295 प्रतिशत बढ़ गयीं।

आयकर आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में 3.5 लाख रुपये से कम आय समूह से संबंधित व्यक्तिगत आकयर रिटर्न दाखिल करने वाले 36.3 प्रतिशत लोग अब ऊपरी आय वर्ग में पहुंच गए हैं।

एसबीआई रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2013-14 में 3.5 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों की आय असमानता 31.8 प्रतिशत थी लेकिन 2020-21 तक यह घटकर 15.8 प्रतिशत हो गई। यह दर्शाता है कि उनकी आबादी की तुलना में कुल आय में इस समूह की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत बढ़ गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2013-14 में 100 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले 23 व्यक्तियों की सम्मिलित आय समूचे वित्त वर्ष की कुल आय का 1.64 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2020-21 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 136 हो गई लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 में उनकी संम्मिलित आय का हिस्सा गिरकर 0.77 प्रतिशत हो गया है।

रिपोर्ट कहती है कि महामारी के बाद परिवार अपनी वित्तीय बचत को अचल संपत्ति सहित भौतिक संपत्तियों में लगाने को तरजीह दे रहे हैं।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण


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