भारत में एथनॉल की मांग बढ़ने से ‘अन्नदाता’ बनेंगे ‘ऊर्जा दाता’ : गडकरी

भारत में एथनॉल की मांग बढ़ने से ‘अन्नदाता’ बनेंगे ‘ऊर्जा दाता’ : गडकरी

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  • Publish Date - August 29, 2023 / 07:05 PM IST,
    Updated On - August 29, 2023 / 07:05 PM IST

नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) पेट्रोल और डीजल में मिश्रण के लिए एथनॉल की बढ़ती मांग भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदल देगी, जिससे किसान ‘ऊर्जा दाता’ बन जाएंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को दुनिया का पहला भारत चरण-6 (चरण-दो) विद्युतीकृत फ्लेक्स ईंधन-आधारित वाहन पेश करते हुए यह बात कही। यह वाहन 20 प्रतिशत से अधिक एथनॉल मिश्रण वाले ईंधन पर भी चल सकता है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के उच्च योगदान की तुलना में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि और संबद्ध क्षेत्र का योगदान केवल 12 प्रतिशत है, जबकि 65 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि एथनॉल उद्योग किसानों के लिए वरदान है। देश में एथनॉल की मांग बढ़ेगी, यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदल देगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे किसान न केवल अन्नदाता होंगे बल्कि ऊर्जादाता भी बनेंगे।’’

गडकरी ने विश्वास जताया कि एथनॉल की मांग के साथ जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा, ”मुझे बहुत खुशी है कि जिस दिन एथनॉल की अर्थव्यवस्था दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी, उस दिन कृषि वृद्धि दर जो 12 प्रतिशत है, वह बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाएगी।”

मंत्री ने कहा कि जनरेटर सेट, वाहन, विमान आदि में वैकल्पिक ईंधन के सफल परीक्षण किए गए हैं।

गडकरी ने बताया कि पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भारत से एथनॉल मिले पेट्रोल की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है।

गडकरी ने कहा, ‘‘यह किसानों के लिए एक वरदान है। मैं ऐसी तकनीक विकसित करने के लिए टोयोटा किर्लोस्कर के प्रबंधन को धन्यवाद देता हूं जो देश में प्रदूषण को कम करने और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगी। मैं फ्लेक्स इंजन पर अधिक मॉडल बनाने का अनुरोध करता हूं। मुझे मोटरसाइकिल चाहिए, ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा, कारें 100 प्रतिशत एथनॉल वाली होंगी।”

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘‘मौजूदा समय में ई-20 ईंधन देशभर में 3,300 से अधिक पेट्रोल पंप पर वितरित किया जा रहा है और अप्रैल, 2025 तक यह पूरे भारत में उपलब्ध होगा। अप्रैल, 2025 तक ई-20 कार्यान्वयन के साथ अनुमानित आयात खर्च की बचत लगभग 35,000 करोड़ रुपये सालाना हो सकती है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय