एआई से बनी सामग्री की पहचान अनिवार्य करने से जुड़े नियम जल्द जारी होंगेः आईटी सचिव

एआई से बनी सामग्री की पहचान अनिवार्य करने से जुड़े नियम जल्द जारी होंगेः आईटी सचिव

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 05:09 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 05:09 PM IST

(मोमिता बख्शी चटर्जी)

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) सरकार ने कृत्रिम मेधा (एआई) की मदद से तैयार सामग्री के अनिवार्य चिह्वांकन से जुड़े प्रस्तावित नियमों पर उद्योग के साथ परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है और इससे संबंधित नियम जल्द ही जारी किए जाएंगे। यह जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सचिव एस. कृष्णन ने दी।

कृष्णन ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि उद्योग ने इस मुद्दे पर ‘काफी जिम्मेदाराना’ रुख अपनाया है और एआई-जनित सामग्री की पहचान (लेबलिंग) अनिवार्य करने से जुड़ी दलीलों को समझता है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर उद्योग की ओर से कोई गंभीर विरोध सामने नहीं आया है।

उन्होंने कहा कि उद्योग ने इस पर स्पष्टता की मांग की है कि एआई से किए गए किस स्तर के बदलाव को ‘महत्वपूर्ण’ या ‘सारभूत’ संशोधन माना जाए और किन तकनीकी सुधारों को सामान्य गुणवत्ता बढ़ाने वाले बदलावों के रूप में देखा जाए।

उन्होंने कहा, “हम इन सुझावों के आधार पर सरकार के भीतर अन्य मंत्रालयों से परामर्श कर रहे हैं कि किन बदलावों को स्वीकार किया जाए, कहां संशोधन किया जाए और किन बिंदुओं पर नियमों में सूक्ष्म बदलाव की जरूरत है। यह प्रक्रिया अभी चल रही है और मुझे लगता है कि नए नियम बहुत जल्द सामने आएंगे।”

उद्योग की प्रतिक्रियाओं के बारे में पूछे जाने पर कृष्णन ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि वे इसके खिलाफ हैं।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार न तो कंपनियों से किसी तरह का पंजीकरण कराने को कह रही है, न किसी तीसरे पक्ष की मंजूरी अनिवार्य कर रही है और न ही किसी प्रकार का प्रतिबंध लगा रही है।

उन्होंने कहा, “उद्योग से केवल यही कहा जा रहा है कि एआई से तैयार सामग्री को चिह्नित किया जाए।”

कृष्णन ने कहा कि एआई के जरिये किया गया छोटा-सा बदलाव भी उसका अर्थ पूरी तरह बदल सकता है जबकि मोबाइल फोन कैमरे से होने वाले स्वचालित सुधार जैसे कुछ तकनीकी सुधार केवल गुणवत्ता बढ़ाते हैं और तथ्यों को नहीं बदलते।

उन्होंने कहा कि सामग्री का सार नहीं बदलने वाले तकनीकी सुधारों को नियमों के दायरे में अनावश्यक रूप से न लाने की ‘वाजिब मांगों’ को नियमों में समायोजित किया जा सकता है।

हालांकि, उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि सभी प्रकार के संशोधनों को छूट देना समस्या पैदा कर सकता है।

सरकार ने अक्टूबर में सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें एआई-जनित सामग्री की स्पष्ट पहचान करने और फेसबुक एवं यूट्यूब जैसे बड़े डिजिटल मंचों की जवाबदेही बढ़ाने की बात कही गई थी।

मंत्रालय ने कहा था कि डीपफेक ऑडियो, वीडियो और अन्य कृत्रिम सामग्री के तेजी से प्रसार ने गलत सूचना फैलाने, छवि खराब करने, चुनावों को प्रभावित करने और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे जोखिमों को उजागर किया है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय