सोपा की सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ाने की मांग

सोपा की सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ाने की मांग

सोपा की सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ाने की मांग
Modified Date: September 7, 2025 / 12:32 pm IST
Published Date: September 7, 2025 12:32 pm IST

नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) भारतीय सोयाबीन प्रसंस्करणकर्ता संघ (सोपा) ने सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम से कम 10 प्रतिशत बढ़ाने का आग्रह किया है ताकि किसानों को घरेलू कीमतों में आ गिरावट से संरक्षण दिया जा सके। कीमतों में गिरावट से इनकी खेती हतोत्साहित हो रही है।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिए एक ज्ञापन में सोपा के चेयरमैन दाविश जैन ने कहा कि सस्ते आयात और घरेलू तिलहन की कम कीमतों के कारण किसानों ने तिलहन की खेती कम कर दी है या छोड़ दी है।

जैन ने कहा, ‘‘हम आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क संरचना पर पुनर्विचार करने और जल्द से जल्द शुल्क में कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए आपके हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं।’’

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उन्होंने कहा कि ऐसा कदम किसानों का विश्वास बहाल करने, तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा को मजबूत करने में काफी मददगार साबित होगा।

सोपा ने यह अपील ऐसे समय में की है जब इस साल सोयाबीन की खेती का रकबा पांच प्रतिशत से ज्यादा घट गया है और किसान कम कीमत मिलने से निराश हैं।

चालू विपणन वर्ष के दौरान, सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगातार नीचे बनी हुई हैं, जिससे सरकार को खरीद अभियान में हस्तक्षेप करना पड़ा है।

मई में, सरकार ने घरेलू रिफाइनिंग को प्रोत्साहित करने और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कच्चे सोयाबीन तेल सहित कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। हालांकि, रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क 35.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया था।

सोपा के अनुसार, सरकारी खरीद के बाद भी, स्टॉक को घाटे में बेचना पड़ रहा है। वर्तमान फसल स्थिति को देखते हुए इस बात की प्रबल संभावना है कि सरकार को एक बार फिर सोयाबीन की खरीद करनी पड़ सकती है, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।

संघ ने कहा कि यह बताना जरूरी है कि खाद्य तेल वर्तमान में मुद्रास्फीति में योगदान नहीं दे रहे हैं, और सोयाबीन तेल की कीमतें कम बनी हुई हैं। यह उपभोक्ताओं के हित महत्वपूर्ण हैं, लेकिन एक संतुलन भी होना चाहिए – उपभोक्ताओं को तिलहन उत्पादन बढ़ाने और हमारी आयात निर्भरता कम करने के लिए उचित मूल्य देने को तैयार होना चाहिए।’’

सोपा ने तर्क दिया कि शून्य या बहुत कम शुल्क पर आयात की अनुमति देने की लंबे समय से चली आ रही नीति ने ‘देश की तिलहन अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।’’

ज्ञापन के अनुसार, ‘‘अब यह जरूरी हो गया है कि असंतुलन को दूर करने के लिए एक ऐसा नीतिगत ढांचा अपनाया जाए जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करे और किसानों को उचित एवं लाभकारी लाभ सुनिश्चित करे। आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क बढ़ाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’

भाषा अजय अजय

अजय


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