टाटा-मिस्त्री मामले में आठ दिसंबर को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

टाटा-मिस्त्री मामले में आठ दिसंबर को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - December 2, 2020 / 05:46 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:45 PM IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह राष्ट्रीय कंपनी काननू अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ टाटा संस और साइरस इंवेस्टमेंट की याचिकाओं पर आठ दिसंबर को सुनवाई करेगा।

एनसीएलएटी ने अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को पुन: कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने को कहा था।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिये आया। इस पर पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘हम इस मामले को मंगलवार को एकमात्र मामले के रूप में सुनेंगे।’’

इस पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति आर रामासुब्रमणियन भी शामिल रहे। पीठ ने कहा, ‘‘इन मामलों को आठ दिसंबर को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करें।’’

उच्चतम न्यायालय ने 22 सितंबर को शापूरजी पलोनजी समूह, साइरस मिस्त्री और मिस्त्री की निवेश कंपनी के ऊपर टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की हिस्सेदारी हस्तांतरित करने या गिरवी रखने से रोक लगा दी थी।

टाटा संस में शापूरजी पलोनजी समूह की 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है। समूह ने अपनी याचिका में कहा है कि उसकी अपनी हिस्सेदारी को गिरवी रख पूंजी जुटाने की योजना थी। टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड ने इसे रोकने के लिये उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की है। यह अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों को दबाना है।

टाटा संस ने मिस्त्री समूह को अपनी हिस्सेदारी के बदले पूंजी जुटाने से रोकने की मांग करते हुए पांच सितंबर को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। टाटा संस ने शापूरजी पलोनजी समूह द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर शेयरों को गिरवी रखने से रोकने की भी मांग की है।

टाटा संस में शापूरजी पलोनजी की हिस्सेदारी का मूल्यांकन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

टाटा संस ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय से कहा था कि वह दो समूह वाली कंपनी नहीं है और उसके तथा साइरस इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच कोई अर्ध- साझेदारी नहीं है।

शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को टाटा समूह को पिछले साल 18 दिसंबर के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगाकर राहत दी थी।

मिस्त्री ने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का स्थान लिया था, लेकिन चार साल बाद उन्हें पद से हआ दिया गया था।

भाषा

सुमन महाबीर

महाबीर