टाटा ट्रस्ट ने चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन का तीसरा कार्यकाल देने की अनुशंसा की

टाटा ट्रस्ट ने चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन का तीसरा कार्यकाल देने की अनुशंसा की

टाटा ट्रस्ट ने चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन का तीसरा कार्यकाल देने की अनुशंसा की
Modified Date: October 14, 2025 / 04:00 pm IST
Published Date: October 14, 2025 4:00 pm IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) टाटा ट्रस्ट ने टाटा समूह की कंपनियों की प्रवर्तक टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को लगातार तीसरा कार्यकाल देने की अनुशंसा की है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन का एक और कार्यकाल देने का फैसला ऐसे समय हुआ है जब टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी के बीच निदेशक मंडल में नियुक्तियों और परिचालन संबंधी मुद्दों पर खींचतान चल रही है।

टाटा ट्रस्ट समूह से जुड़े कई परमार्थ ट्रस्टों का नियंत्रक संगठन है। इसके पास टाटा संस में करीब 66 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी है।

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हालांकि, यह नहीं पता चल पाया है कि टाटा ट्रस्ट ने यह सिफारिश किस तारीख को की है। इसके अलावा इस सिफारिश पर टाटा संस की प्रतिक्रिया के बारे में भी तुरंत जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है।

पिछले सप्ताह टाटा ट्रस्ट के निदेशक मंडल की बैठक हुई थी, जिसमें रोजमर्रा के मुद्दों पर चर्चा हुई थी और विवादास्पद विषयों से दूरी रखी गई थी। इस आपसी मतभेद का असर टाटा संस और लगभग 180 अरब डॉलर के समूह की सामान्य कार्यप्रणाली पर पड़ने का खतरा है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘टाटा ट्रस्ट ने चंद्रशेखरन को तीसरा कार्यकाल दिए जाने की सिफारिश की है। इसे लागू करने का निर्णय टाटा संस के निदेशक मंडल का होगा।’’

बहरहाल, इस संदर्भ में टाटा संस को भेजे गए ई-मेल का कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं मिल पाई है।

अगर टाटा संस का निदेशक मंडल चंद्रशेखरन के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी देता है, तो यह देखना होगा कि क्या वह कार्यकारी पद पर बने रहेंगे।

दरअसल, टाटा समूह के आंतरिक नियमों के तहत 65 वर्ष की आयु पार करने पर कार्यकारी पद छोड़ना होता है। हालांकि, गैर-कार्यकारी पदों पर 70 वर्ष तक रहा जा सकता है।

चंद्रशेखरन को अक्टूबर, 2016 में टाटा संस के निदेशक मंडल में शामिल किया गया था और वह जनवरी, 2017 में चेयरमैन नियुक्त किए गए थे। उन्होंने साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद फरवरी, 2017 में टाटा संस का चेयरमैन पद संभाला था।

अपने पहले कार्यकाल में चंद्रशेखरन को मिस्त्री के साथ कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी जबकि दूसरे कार्यकाल में उन्होंने समूह के विमानन व्यवसाय का पुनर्निर्माण किया और एयर इंडिया का सफल अधिग्रहण किया।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय


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