(मौमिता बक्शी चटर्जी)
नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) आज तकनीक और एआई के युग में ‘घिबली’ की चर्चा चारो ओर है, जिसकी मदद से लाखों लोग तस्वीरों को प्यारे से दिखने वाले कार्टून चरित्रों में बदल रहे हैं। लोगों तक घिबली से प्रेरित एआई कला पहुंचाने वाले जीपीटी-4ओ के पीछे प्रफुल्ल धारीवाल का दिमाग है।
धारीवाल (30) ने कहा कि वह वास्तव में भारत से मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया से हैरान थे।
ओपनएआई के मल्टीमॉडल प्रमुख धारीवाल ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में बताया, ”हमें पता था कि हम कुछ बढ़िया बना रहे हैं, लेकिन इतनी जोरदार प्रतिक्रिया ने हमें पूरी तरह चौंका दिया। खास तौर पर भारत से जोरदार प्रतिक्रिया आई। इस पेशकश के कुछ ही हफ्तों में भारत तस्वीर तैयार करने के लिए दुनिया में हमारा सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार बन गया। वैश्विक स्तर पर, इसका नतीजा ओपनएआई के इतिहास में सबसे बड़ी वृद्धि के रूप में सामने आया।”
पुणे के डॉ. कलमाडी शामराव हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने वाले धारीवाल कहते हैं कि भारत से निकलने वाली रचनात्मकता अविश्वसनीय है।
उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से 2017 में स्नातक किया। वह 2016 की गर्मियों में एक प्रशिक्षु के रूप में ओपनएआई में शामिल हुए और एक साल बाद पूर्णकालिक कर्मचारी बन गए।
धारीवाल कहते हैं कि उसकी जीवन यात्रा इस बात का प्रमाण है कि पुणे के स्कूल से लेकर अग्रणी एआई पर काम करने तक का रास्ता दृढ़ता, विनम्रता और स्पष्ट लक्ष्य के साथ हासिल किया जा सकता है।
पिछले साल, ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने धारीवाल की प्रशंसा करते हुए कहा था कि जीपीटी-4ओ उनकी दृष्टि, प्रतिभा, दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प के बिना साकार नहीं हो सकता था।
पुणे के इस तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा कि जीपीटी-4ओ में तस्वीर बनाने की पेशकश ओपनएआई में उनके कार्यकाल के सबसे यादगार अवसरों में एक था।
धारीवाल ने कहा कि वह पिछले दिसंबर में अपनी शादी की तैयारियों के लिए भारत में थे और इस दौरान उन्होंने शादी का कार्ड डिजाइन करने के लिए इस मॉडल का इस्तेमाल किया। इसके बाद उनकी पांच सदस्यीय टीम ने 4ओ छवि निर्माण पर लगभग एक साल काम किया।
इसका नतीजा यह हुआ कि चैटजीपीटी पर थोड़े ही समय में 13 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं ने 70 करोड़ से अधिक छवियां बनाईं। भारत अब ओपनएआई का सबसे तेज़ी से बढ़ता चैटजीपीटी बाजार है।
कॉपीराइट और नैतिकता जैसे मुद्दों के बारे में चिंताओं पर धारीवाल ने कहा कि कंपनी का मकसद कलात्मक और कानूनी सीमाओं का सम्मान करते हुए उपयोगकर्ताओं को सार्थक रचनात्मक आजादी देना है।
उन्होंने कहा, ”युवा शोधकर्ताओं के लिए, विशेष रूप से भारत में, मेरा संदेश है कि वृद्धि की मानसिकता अपनाएं। जिज्ञासु बने रहें। सीखते रहें। कठिन समस्याओं से घबराएं नहीं, भले ही वे पहली बार में पहुंच से बाहर लगें। भरोसा रखें कि आप उन्हें हल कर सकते हैं।”
भाषा पाण्डेय रमण
रमण