मुंबई, 30 अक्टूबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का जुलाई-सितंबर तिमाही में शुद्ध लाभ 10 प्रतिशत घटकर 4,249 करोड़ रुपये रह गया। बैंक की मुख्य आय और बट्टे खाते में डाले गए खातों से वसूली में कमी के कारण यह गिरावट आई।
बैंक के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष पांडेय ने कहा कि ऋणदाता अब से शीर्ष वृद्धि और लाभ की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखेगा।
समीक्षाधीन तिमाही में बैंक की मुख्य शुद्ध ब्याज आय 2.6 प्रतिशत घटकर 8,812 करोड़ रुपये रह गई। इसकी वजह ऋण वृद्धि दर में पांच प्रतिशत से भी कम की नरमी तथा शुद्ध ब्याज मुनाफे में भी एक वर्ष पूर्व की समान अवधि के 2.90 प्रतिशत से घटकर 2.67 प्रतिशत रह जाना रही।
पांडेय ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ऋण वृद्धि पर कोई विशिष्ट लक्ष्य साझा नहीं किया लेकिन कहा कि तेजी से खुदरा ऋण वृद्धि के आधार पर यह अब भी आठ से 10 प्रतिशत की दर से बही-खाते को बढ़ाने की आकांक्षा रखता है।
बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी अविनाश प्रभु ने कहा कि उसने बड़े कॉरपोरेट ऋण में केवल एक प्रतिशत की वृद्धि की है क्योंकि वह उधारकर्ताओं द्वारा मांगी गई दरों से संतुष्ट नहीं था।
आलोच्य तिमाही में अन्य आय में सालाना आधार पर 6.24 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 4,996 करोड़ रुपये रह गई। इसका कारण तिमाही के दौरान निवेश की बिक्री पर लाभ 70 प्रतिशत की गिरावट के साथ 192 करोड़ रुपये और बट्टे खाते में डाले गए खातों से वसूली के 36 प्रतिशत घटकर 913 करोड़ रुपये रहना है।
बैंक ने बताया कि वसूली में 500 करोड़ रुपये की गिरावट समग्र लाभ में गिरावट का एक प्रमुख कारण थी।
कुल प्रावधान एक साल पहले की समान अवधि के 3,393 करोड़ रुपये से घटकर 2,565 करोड़ रुपये रह गया।
मानक परिसंपत्ति प्रावधान को बढ़ाकर 882 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भाषा
निहारिका अजय
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