लौह, इस्पात संयंत्रों के उन्नयन से कार्बन उत्सर्जन में आ सकती है बड़ी गिरावटः रिपोर्ट

लौह, इस्पात संयंत्रों के उन्नयन से कार्बन उत्सर्जन में आ सकती है बड़ी गिरावटः रिपोर्ट

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  • Publish Date - September 21, 2023 / 03:22 PM IST,
    Updated On - September 21, 2023 / 03:22 PM IST

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) दुनिया भर में लौह एवं इस्पात संयंत्रों को निर्धारित समय से पहले ही उन्नत कर दिया जाए, तो वर्ष 2050 तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में लगभग दो साल के बराबर की कटौती की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में यह अनुमान जताया है।

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में यह पाया है कि इन प्रसंस्करण संयंत्रों को मरम्मत की तय अवधि से पांच साल पहले अगर निम्न उत्सर्जन प्रौद्योगिकी के साथ उन्नत कर दिया जाए, तो कार्बन उत्सर्जन में 70 गीगाटन तक की कमी आ सकती है।

अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, अगर तय समय पर ही इन संयंत्रों का प्रौद्योगिकी उन्नयन होता है, तो कार्बन उत्सर्जन में होने वाली कटौती लगभग 60 गीगाटन रहेगी।

रिपोर्ट कहती है कि अगर वैश्विक स्तर पर इस्पात संयंत्रों में लगी ब्लास्ट ऑक्सिजन भट्टियों को उन्नत बना दिया जाता है, तो लगभग 74 प्रतिशत की कार्बन बचत की जा सकती है। शोध टीम ने यह निष्कर्ष करीब 4,900 लौह एवं इस्पात संयंत्रों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर निकाला है।

इस अध्ययन में यह पाया गया कि करीब 16 प्रतिशत कार्बन बचत बिजली से चलने वाली भट्टियों को बेहतर कर हासिल की जा सकती है।

कार्बन उत्सर्जन की अधिकता होने के कारण लौह और इस्पात उत्पादन वैश्विक उत्सर्जन में लगभग सात प्रतिशत का योगदान देता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, सबसे अधिक कार्बन-बहुल एवं कोयला-आधारित लौह एवं इस्पात संयंत्र चीन, जापान और भारत में स्थित हैं जबकि पश्चिम एशिया और उत्तर अमेरिकी संयंत्रों में प्राकृतिक गैस का अधिक इस्तेमाल होने से कम कार्बन उत्सर्जन होता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय