मुंबई, 31 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को एक रिपोर्ट में चेतावनी दी कि स्टेबलकॉइन का व्यापक उपयोग देश की मौद्रिक संप्रभुता और वित्तीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
आरबीआई ने अपनी छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के ‘विशेष फीचर’ खंड में कहा कि स्टेबलकॉइन अपनी अंतर्निहित कमजोरियों की वजह से वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।
स्टेबलकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है जिसका मूल्य डॉलर, सोना या अन्य मुद्रा जैसे किसी स्थिर संपत्ति से जुड़ा होता है। इसे विशेष रूप से स्थिर मूल्य बनाए रखने और लेनदेन में आसानी के लिए बनाया गया है ताकि आम क्रिप्टोकरेंसी की तरह अत्यधिक उतार-चढ़ाव न हो।
आरबीआई ने कहा कि मुद्रा को लेकर विश्वास होना वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की बुनियाद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मुद्रा आधारित स्टेबलकॉइन्स के व्यापक उपयोग से देश का मौद्रिक नियंत्रण कमजोर हो सकता है और घरेलू मौद्रिक नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा आ सकती है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि स्टेबलकॉइन को भले ही पारंपरिक मुद्रा के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन उसमें एक ठोस मौद्रिक प्रणाली के जरूरी गुण- एकल, लचीलापन और अखंडता की कमी है।
आरबीआई ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक की मुद्रा ही वित्तीय प्रणाली की विश्वसनीयता और स्थिरता बनाए रखती है और इसे हमेशा भुगतान का अंतिम साधन और मौद्रिक विश्वास का आधार रहना चाहिए।’
आरबीआई ने कहा कि ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (सीबीडीसी) के जरिये स्टेबलकॉइन जैसी कुशलता, त्वरित निपटान और प्रोग्राम-योग्य विकल्प मुहैया कराया जा सकता है लेकिन इसके साथ आरबीआई की विश्वसनीयता और सुरक्षा भी जुड़ी हुई है।
आरबीआई ने देशों से निजी स्टेबलकॉइन के बजाय सीबीडीसी को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हुए कहा है कि स्टेबलकॉइन से होने वाले जोखिम उनके संभावित लाभ से अधिक हैं।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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