शह मात The Big Debate: जेल में कैदी मस्त.. ये है सुरक्षा जबरदस्त? आखिर बार-बार बंदियों को सुविधा देने का खेल कौन खेलता है?

जेल में कैदी मस्त.. ये है सुरक्षा जबरदस्त? After all, who plays the game of providing facilities to prisoners again and again?

शह मात The Big Debate: जेल में कैदी मस्त.. ये है सुरक्षा जबरदस्त? आखिर बार-बार बंदियों को सुविधा देने का खेल कौन खेलता है?
Modified Date: October 25, 2025 / 12:06 am IST
Published Date: October 24, 2025 11:59 pm IST

रायपुरः किसी भी विचाराधीन कैदी या सजायाफ्ता कैदी को जेल के भीतर जेल मेन्युअल के मुताबिक पाबंदियों के बीच अपनी सजा काटना होती है, लेकिन सारे कायदे शिथिल हो सकते हैं। यदि आप रसूखदार या मालदार हों ये सब अतिश्योक्ति नहीं है, बल्कि गाहे-बगाहे जेल के भीतर से आने वाली तस्वीरों से साफ होता है। हद ये कि अब तो जेल के भीतर मोबाइल कैमरे ही नहीं पहुंचते, बल्कि वहां कुख्यात सजायाफ्ता शो-ऑफ करते हुए बिंदास रील्स बनाते हैं और उसे बेखौफ सोशल मीडिया पर वायरल करवाते हैं। जाहिर है ये सब बिना मिलीभगत के मुमकिन नहीं तो कौन है जिसकी शह होती है ? किसे दोष देंगे आप…निचले स्तर के जेल सुरक्षा कर्मी या सिस्टम में ऊपर बैठे दमदार अफसर ?

प्रदेश के जेल के भीतर अगर पैसा और रसूख हो तो कुछ भी मुमकिन है। अंबिकापुर में जेल में बंद, जिलाबदर अपराधी को मोबाइल सुविधा दिया जाना पकड़ में आया। मामले में खुद जेल अधीक्षक ने SP राजेश अग्रवाल को पत्र लिखकर पुलिस कर्मियों पर नियमों की अनदेखी के आरोप लगाते हुए। अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने कहा है। इससे पहले इसी महीने रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर बदमाश मो रशीद अली उर्फ राजा का जेल में वर्कआउट करते और उसकी रील बनाकर शो-ऑफ करने वीडियो सामने आया। हैरानी की बात ये कि राज हत्या, ऑर्म्स एक्ट, NDPS एक्ट समेत 10 से ज्यादा संगीन अपराधों का आरोपी है, फिर कैसे उसे मोबाइल पर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने की हिम्मत आई।

प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर घेरता आया विपक्ष इस मुद्दे पर भी सरकार पर जमकर हमलावर है तो बीजेपी, कांग्रेस को उसका पिछला शासनकाल और उसमें हुई वारदातों की याद दिला रही है। इससे पहले भी, जेल सुरक्षा स्टाफ और पुलिस पर लापरवाही या मिलीभगत से कैदियों को, जेल मैनुअल से हटकर, गैर-वाजिब सुविधाएं देने का आरोप लग चुका है। कई बात कैदी जेल से, अस्पताल या पेशी के दौरान कोर्ट परिसर से भाग चुके हैं। सवाल ये है कि सरकार चाहे जिस भी दल की हो, मजाक जेल और पुलिस विभाग का बनता है। सवाल है बार-बार ये सेंध क्यों ? बार-बार कैदियों को सुविधा देने का खेल कौन खेलता है?

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।