Ambikapur News: 82 साल के दूल्हे और 77 साल की दुल्हन, बुजुर्ग दंपत्ति ने सालगिरह पर किया ऐसा अनोखा काम… जिसे देखकर दंग रह गया पूरा शहर

बलदेव और बेचनी की ये वर्षगांठ केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि ये समाज को ये संदेश देने वाली मिसाल भी थी कि सच्चा प्रेम और परिवार के प्रति समर्पण उम्र के किसी बंधन से परे होता है। इस कार्यक्रम ने साबित किया कि संबंधों का मूल्य, संस्कार और प्रेम जीवन भर जीवित रह सकते हैं।

Ambikapur News: 82 साल के दूल्हे और 77 साल की दुल्हन, बुजुर्ग दंपत्ति ने सालगिरह पर किया ऐसा अनोखा काम… जिसे देखकर दंग रह गया पूरा शहर

Ambikapur News / Image Source: IBC24

Modified Date: November 4, 2025 / 01:41 pm IST
Published Date: November 4, 2025 1:15 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 82 वर्षीय दंपत्ति ने अपनी 65वीं शादी की सालगिरह मनाई।
  • समारोह में दंपत्ति ने हाथ में लाठी लेकर वरमाला पहनाई।
  • समाज में प्रेम-समर्पण की मिसाल देने वाला साबित हुआ।

Ambikapur News: अंबिकापुर: अंबिकापुर में सोमवार को एक ऐसा अनोखा और भावनाओं से भरा आयोजन देखने को मिला, जिसने सभी को भाव विभोर कर दिया। ये आयोजन था बुजुर्ग दंपत्ति बलदेव प्रसाद सोनी (82) और उनकी धर्मपत्नी बेचनी देवी (77) की 65वीं वैवाहिक वर्षगांठ का था। ये केवल एक सालगिरह नहीं बल्कि समाज में रिश्तों की अहमियत और प्रेम-सम्मान का संदेश देने वाला समारोह भी था।

सालगिरह का अनोखा अंदाज

इस वर्षगांठ समारोह की खास बात ये थी कि दंपत्ति ने हाथों में लाठी लेकर एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। शहर में ये दृश्य देखकर हर कोई हैरान और भावुक हो गया। कार्यक्रम की शुरुआत हल्दी रस्म से हुई, जिसमें परिवारजनों और रिश्तेदारों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके अगले दिन बारात निकाली गई, जिसमें ढोल-नगाड़े की धुन पर रिश्तेदार और स्थानीय लोग जमकर नाचे। दूल्हा बने बलदेव प्रसाद सोनी ने पारंपरिक पोशाक पहनकर सबका दिल जीत लिया, वहीं दुल्हन बनीं बेचनी देवी मुस्कुराते हुए फिर से सात फेरे लेने की यादें ताजा कर रही थीं। इस पूरी रस्म में ख़ुशी का माहौल छाया रहा।

नई पीढ़ी के लिए संदेश

परिवार के सदस्यों ने बताया कि ये आयोजन नई पीढ़ी को संस्कार और रिश्तों की अहमियत से परिचित कराने के उद्देश्य से किया गया। बलदेव और बेचनी के चार बच्चे हैं दो बेटे दिनेश और विनोद और दो बेटियां मंजू और अंजू। बच्चों ने मिलकर अपने माता-पिता के लिए इस अनोखे और यादगार आयोजन का आयोजन किया। बहुओं बसंती और उर्मिला और दामाद शिवशंकर और अशोक ने भी पूरे आयोजन में सहयोग किया। पूरे समारोह में सभी पारंपरिक रस्मों का पालन किया गया और इसे एक भव्य होटल कार्यक्रम के रूप में संपन्न किया गया।

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समाज में पेश की मिसाल

स्थानीय लोगों ने इस आयोजन की सराहना की और इसे केवल शादी नहीं, बल्कि “समर्पण और प्रेम की मिसाल” कहा गया। आम तौर पर ऐसा दुर्लभ अवसर होता है जब कोई अपने परपोते के साथ इतना लंबा और स्वस्थ जीवन जी सके। बलदेव और बेचनी वर्तमान में पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने 18 वर्षीय परपोते तनिष्क के साथ जीवन का आनंद ले रहे हैं। कार्यक्रम का एक और अनोखा दृश्य ये था कि तनिष्क सारथी बनकर अपने परदादा-दादी को बारात में लेकर पहुँचा, जिससे ये आयोजन और भी यादगार बन गया।

प्रेम और समर्पण

बलदेव और बेचनी की ये वर्षगांठ केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि ये समाज को ये संदेश देने वाली मिसाल भी थी कि सच्चा प्रेम और परिवार के प्रति समर्पण उम्र के किसी बंधन से परे होता है। इस कार्यक्रम ने साबित किया कि संबंधों का मूल्य, संस्कार और प्रेम जीवन भर जीवित रह सकते हैं।

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