Bilaspur High Court News: पति को पालतू चूहा कहना… और माता-पिता से अलग रहने की जिद मानसिक क्रूरता, हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला, पत्नी को मिला बड़ा गुज़ारा भत्ता
Bilaspur High Court News: पति को पालतू चूहा कहना... और माता-पिता से अलग रहने की जिद मानसिक क्रूरता, हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला, पत्नी को मिला बड़ा गुज़ारा भत्ता
CG High Court On Rape/Image Source: IBC24
- तलाक मामले में पति को अपमानित,
- माता-पिता से अलग रहने की ज़िद,
- पत्नी को 5 लाख का गुज़ारा भत्ता,
बिलासपुर: Bilaspur High Court News: तलाक के एक मामले में पति को पालतू चूहा कहने और माता-पिता से अलग रहने की ज़िद करने को हाईकोर्ट ने मानसिक क्रूरता माना है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि भारतीय संयुक्त परिवार की व्यवस्था में पति को माता-पिता से अलग करने की ज़िद करना मानसिक क्रूरता है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। मामले में फैमिली कोर्ट ने पति का आवेदन मंज़ूर करते हुए तलाक को अनुमति दी थी। पत्नी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पत्नी को 5 लाख रुपए स्थायी गुज़ारा भत्ता देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा बेटे को हर माह गुज़ारा भत्ता भी देना होगा।
बता दें कि रायपुर निवासी दंपती की शादी 28 जून 2009 को हुई थी। 5 जून 2010 को उनके एक बेटा हुआ। पति ने पत्नी पर क्रूरता और परित्याग के आरोप लगाते हुए फैमिली कोर्ट रायपुर में तलाक के लिए याचिका लगाई। जहां 23 अगस्त 2019 को तलाक मंज़ूर हो गया। पत्नी ने इस फैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील की। पति ने अपने पक्ष में तर्क दिया कि पत्नी ने उसके माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया और उनसे अलग रहने की ज़िद की। ऐसा करने से इनकार करने पर पत्नी आक्रामक व्यवहार करने लगी और उसे शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुँचाया। यह भी बताया कि पत्नी उसे “पालतू चूहा” कहकर अपमानित करती थी। इसके अलावा उसने खुद गर्भपात करने का प्रयास किया।
Bilaspur High Court News: बताया गया कि पत्नी 24 अगस्त 2010 को तीजा के दौरान अपने मायके चली गई और उसके बाद कभी वापस नहीं आई। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा भेजे गए एक टेक्स्ट मैसेज को भी सबूत माना। इस मैसेज में पत्नी ने लिखा था कि अगर तुम अपने माता-पिता को छोड़कर मेरे साथ रहना चाहते हो तो जवाब दो वरना मत पूछो। प्रति परीक्षण के दौरान पत्नी ने स्वीकार किया कि यह मैसेज उसी ने भेजा था। उसने यह भी माना कि वह अगस्त 2010 के बाद अपने ससुराल नहीं लौटी।
फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की आय पर विचार किया। हाईकोर्ट ने पाया कि पत्नी लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत हैं जबकि पति छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक में अकाउंटेंट हैं। वर्तमान में पत्नी अपने बेटे के साथ रह रही हैं। बेटे के पालन-पोषण के लिए उसे 6,000 रुपए और स्वयं के लिए हर माह 1,000 रुपए गुज़ारा भत्ता मिल रहा है। सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह अपनी पूर्व पत्नी को एकमुश्त 5 लाख रुपए स्थायी गुज़ारा भत्ता के रूप में दे।
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