Minor Girl Raped: नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर जंगल ले गया युवक, फिर रातभर किया बलात्कार, हाईकोर्ट ने रखी सजा बरकरार

Minor Girl Raped in Forest : मामला अंबिकापुर का है, जहां थाने में 30 जून 2020 को दर्ज की गई एक शिकायत में पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी 14 वर्षीय बेटी 29 जून की शाम को अपनी सहेलियों के साथ टहलने निकली थी और वापस नहीं लौटी।

Minor Girl Raped: नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर जंगल ले गया युवक, फिर रातभर किया बलात्कार, हाईकोर्ट ने रखी सजा बरकरार

Shahdol Crime News/ Image Credit: IBC24 File Photo

Modified Date: June 27, 2025 / 10:18 pm IST
Published Date: June 27, 2025 10:17 pm IST
HIGHLIGHTS
  • पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत आरोपी की सजा बरकरार
  • रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि उसके साथ बलात्कार हुआ

बिलासपुर। Minor Girl Raped, हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार मामले में पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत आरोपी की सजा बरकरार रखी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा कि अत्यंत निष्कलंक और विश्वसनीय गवाह की गवाही के आधार पर भी अभियुक्त को दोषी ठहराया जा सकता है।

मामला अंबिकापुर का है, जहां थाने में 30 जून 2020 को दर्ज की गई एक शिकायत में पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी 14 वर्षीय बेटी 29 जून की शाम को अपनी सहेलियों के साथ टहलने निकली थी और वापस नहीं लौटी। उन्हें संदेह था कि गांव में अक्सर आने-जाने वाला युवक राजू यादव, उसे बहला-फुसलाकर ले गया है। बाद में पीड़िता मिली और उसने बयान दिया कि आरोपी उसे कछार के जंगल में ले गया। रातभर वहीं रखा और उसके साथ बलात्कार किया।

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Minor Girl Raped in Forest , पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई, जांच के बाद आईपीसी की धारा 376(3), 376(2)(जी) और पॉक्सो अधिनियम की के तहत आरोप तय किए गए। लड़की की मेडिकल जांच में हालांकि शरीर पर बाहरी चोट के निशान नहीं मिले, लेकिन रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि उसके साथ बलात्कार हुआ है। स्कूली और अन्य दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट हुआ कि पीड़िता घटना के समय 16 वर्ष से कम आयु की थी। फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो), अंबिकापुर ने उसको विभिन्न धाराओं में सजा सुनाई। दोषी युवक ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़िता के बयान और 8 गवाहों के साक्ष्यों को महत्वपूर्ण माना। कोर्ट ने फैसले में कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीय और सुसंगत हो, तो केवल उसी के आधार पर दोष सिद्ध की जा सकती है। छोटी-मोटी विसंगतियाँ गवाही की विश्वसनीयता को कम नहीं करतीं। मेडिकल और मौखिक गवाहियों को संयुक्त रूप से देखा जाना चाहिए। पॉक्सो मामलों में किसी प्रकार की नरमी उचित नहीं है।

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चिकित्सकीय और दस्तावेजी साक्ष्यों से भी यौन हमला पूर्णतः पुष्ट है, इसमें किसी संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। अपील खारिज कर आरोपी को सजा पूरी करने के लिए जेल में ही रहने का निर्देश दिया गया और उसे सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति दी गई है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com