Broken 'supply line' of Naxalites, Naxal citadel

नक्सलियों की टूटी ‘सप्लाई लाइन’, नक्सल गढ़…दरकती नींव, बस्तर में बदल रहे हालात

Broken 'supply line' of Naxalites, Naxal citadel

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : December 3, 2021/11:29 pm IST

राय़पुरः दक्षिण बस्तर में माओवादियों की घेराबंदी के लिए पुलिस ने चुनिंदा इलाके में स्ट्रैटेजिक कैंप खोले हैं। जिसमें पुलिस को कामयाबी मिलती दिख रही है। कोरोना काल के दौरान माओवादी संगठन में मुखबिरी का शक और पुलिस चौकसी का ऐसा माहौल बना कि अब वो अनाज, दवा, वैक्सीन जैसी चीजें अपने लोकल सप्लाई चैन से नहीं मंगवा पा रहे हैं। डीजीपी समेत तमाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी दक्षिण बस्तर में लगातार दौरे और बैठकें कर अपनी रणनीति का रिव्यू करते रहते हैं। अहम बात ये कि पुलिस नक्सिलयों की लोकल सप्लाई चैन टूटने को अच्छा संकेत मानती है। सत्ता पक्ष का मानना है कि अंदरूनी इलाके में जारी विकास रंग ला रहा है तो विपक्ष सरकार पर ठोस रणनीति ना होने का आरोप लगा रहा है। बड़ा सवाल ये कि क्या वाकई नक्सली संगठन में अविश्वास, टूट और तंगी का दौर है।

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दक्षिण बस्तर में पिछले कुछ सालों के पुलिस फोर्स के लगातार बढ़ते दखल और एक के बाद एक खुलते कैंपों के जरिए. माओवादियों के स्थानीय संगठन के आत्मविश्वास पर चोट हुई है। साल 2019 से 2020 के बीच नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में अपने ही संगठन के करीब 31 सक्रिय माओवादियों की निर्मम हत्या कर दी। इसके अलावा बस्तर के अंदरूनी इलाकों में बाजार में बढते पुलिस नेटवर्क के चलते नक्सलियों की सप्लाई चैन पर भी पुलिस की कड़ी नजर हो गई। बीते दिनों आत्मसमर्पित माओवादियों ने बताया कि हथियारों, विस्फोटकों, दवाओँ, रसद और आम जरूररत का सामान हर चीज की आपूर्ति के लिए माओवादियों को अब तेलंगाना और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। जाहिर है इससे नक्सल संगठन तकलीफ में हैं, कमजोर पड़े हैं। बीते दिनों दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने दावा किया कि नक्सलियों को अपने खाने में बेहोशी की दवा औरं जहर जैसी चीजें मिली हैं। जिसके चलते कई नक्सली बीमार पड़ गए, जो मजबूरी में सामने आए वो पकड़े गए या फिर मारे गए। इसीलिए वो अब अपनी जरूरत के लिए स्थानीय तंत्र का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इसे पुलिस अपनी कामयाबी मानती है।

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इधर, सरकार का दावा है कि उनके कार्यकाल में अंदरूनी इलाकों में हो रहा विकास, नक्सलियों को बैकफुट पर ले जा रहा है। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय के मुताबिक नक्सली धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे हैं। उनके संगठन टूट रहे हैं। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार की नक्सवाद के खात्मे के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि नक्सलियों की गोली का जवाब गोली से देना होगा। वर्ना छत्तीसगढ से नक्सलवाद समाप्त करना मुश्किल होगा।

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वैसे नक्सवाद के खात्मे के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही लगातार सक्रिय है। बीतों दिनों केंद्रीय आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के.विजय कुमार नारायणपुर दौरे पर आए थे। उन्होंने BSF आईजी, ITBP आईजी, नक्सल ऑपरेशन एडीजी के साथ अबूझमाड़ के आखिरी छोर सोनपुर में BSF और ITBP कैंपो का दौरा किया। साथ ही नारायणपुर में जवानों के साथ बातचीत की…नक्सल ऑपरेशन को लेकर पीएचक्यू में एक अहम भी बैठक ली। शुक्रवार को भी प्रदेश के डीजीपी अशोक जुनेजा दंतेवाडा दौरे पर रहे बैठक में डीजी के साथ ही एडीजी नक्सल विवेकानंद सिन्हा, आईजी सीआरपीएफ कुलदीप सिंह, आईजी बस्तर सुंदरराज पीं, डीआईजी सीआरपीएफ विनय कुमार मौजूद रहे। पुलिस का दावा है कि दक्षिण बस्तर में पुलिस फोर्स के लगातार ऑपरेशन्स के बाद माओवादियों की लोकल सप्लाई चैन ध्वस्त हुई है जो अच्छा संकेत है। बड़ा सवाल ये कि अब पड़ोसी राज्यों से जारी उनकी सप्लाई चैन पर कैसे और कितना अंकुश लगाया जा सकता है।

 

 
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