CG Farmer News/ Image Credit: IBC24 File Photo
रायपुर: CG Farmer News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में किसानों ने जल संकट के बीच एक नई राह खोज ली है। जहां देशभर के किसान पारंपरिक खेती में अधिक पानी और लागत झोंक रहे हैं, वहीं कुर्रु गांव के रामनाथ और चैतराम ने अपनी सोच बदलकर न केवल मुनाफा बढ़ाया बल्कि जल संरक्षण का भी नया मॉडल पेश किया।
रामनाथ, जो पहले धान की खेती करते थे, ने इस बार चने की फसल लगाई और मात्र दो महीने में 84 हजार रुपये का चना बेच दिया। उधर, उनके साथी किसान चैतराम ने तीन एकड़ में चना बोकर 1.76 लाख रुपये की कमाई की, जबकि उनका कुल खर्च सिर्फ 60 हजार रुपये आया। यानी सीधा 1.16 लाख रुपये का लाभ! यह बताता है कि सही फसल चयन से किसान कम समय में ज्यादा कमा सकते हैं।
CG Farmer News: धान की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 1.20 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है, जबकि चने के लिए केवल 40 लाख लीटर पर्याप्त है। यानी हर हेक्टेयर में 80 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है। इसके अलावा, चने की खेती में खाद और कीटनाशकों का खर्च भी धान की तुलना में 40-45 हजार रुपये तक कम होता है। इसकी जड़ों में मौजूद प्राकृतिक बैक्टीरिया मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और अगली फसल के लिए रासायनिक खाद की जरूरत घट जाती है।
धान की तुलना में चने की फसल जल्दी तैयार होती है—सिर्फ 70-80 दिनों में। इससे किसान अगली फसल जल्दी बो सकते हैं और सालभर में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
इस साल के बजट में कृषि क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन बताया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय बढ़ाने और खेती-किसानी को उन्नत करने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। सबसे क्रांतिकारी फैसला किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत मिलने वाले ऋण की सीमा को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करना रहा। इससे 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और पशुपालकों को कम ब्याज पर लघु अवधि का कर्ज़ मिल सकेगा, जिससे वे आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने में सक्षम होंगे।
CG Farmer News: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और फसल बीमा योजना जैसी योजनाओं ने पहले ही खेती-किसानी की दिशा बदल दी है। अब किसान को फसल की सुरक्षा के साथ-साथ उसकी सही कीमत भी मिल रही है। 2018 में शुरू हुई किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की सहायता मिलती है, जो तीन किस्तों में सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होती है। यह योजना केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे किसान नए बीज, खाद और उपकरण खरीदकर अपनी पैदावार को और बढ़ा सकते हैं।
सरकार अब किसानों को केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि कृषि उद्यमी बनाने की दिशा में काम कर रही है। पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर, नई तकनीकों और जल संरक्षण उपायों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। धमतरी के इन किसानों ने साबित कर दिया है कि सही सोच और नई तकनीकों से खेती को न केवल लाभदायक बनाया जा सकता है, बल्कि जल संकट जैसी गंभीर समस्या का समाधान भी निकाला जा सकता है।