रायपुर, 24 अप्रैल (भाषा) छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने नारायणपुर के नेलांगुर गांव में एक नए शिविर की स्थापना की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस नए शिविर के साथ ही आईटीबीपी ने नक्सल प्रभाव वाले अबूझमाड़ में इस वर्ष अब तक पांच शिविर स्थापित कर लिए हैं।
उन्होंने कहा कि अबूझमाड़ को वर्षों से माओवादियों का सुरक्षित गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन पिछले समय से माड़ बचाओ अभियान के अंतर्गत चलाए जा रहे समन्वित सुरक्षा अभियानों ने इस मिथक को तोड़ना शुरू कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी की 45वीं वाहिनी द्वारा स्थापित नेलांगुर शिविर महाराष्ट्र की सीमा से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षाबलों ने अबूझमाड़ को दक्षिण से जोड़ने की रणनीति के सिलसिले में निर्णायक कदम उठाया है।
अबूझमाड़ का ज्यादातर हिस्सा नारायणपुर जिले में है और यह लगभग चार हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का गढ़ माना है।
अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी, डीआरजी और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त कार्यवाहियों के चलते इस क्षेत्र में माओवादियों की पकड़ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। बड़ी संख्या में माओवादी या तो आत्मसमर्पण कर रहे हैं या फिर इलाके से भागने को मजबूर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नेलांगुर में शिविर खुलने से न केवल अभियान तेज हुए हैं, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी सुरक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी, सड़क और संचार जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलने लगी हैं।
अधिकारियों ने बताया कि यह शिविर आईटीबीपी के भुवनेश्वर में स्थित सामरिक मुख्यालय के अधीन संचालित हो रहा है, जिसकी निगरानी केंद्रीय फ्रंटियर कमान द्वारा की जा रही है।
उन्होंने बताया कि अबूझमाड़ को महाराष्ट्र से जोड़ने का काम इस जनवरी में शुरू हुआ था। आईटीबीपी की दो बटालियनों (41वीं और 45वीं) को नारायणपुर जिले के इन सुदूर इलाकों में शिविर बनाने का काम सौंपा गया था। आईटीबीपी ने मोहंदी में पहला आधार शिविर बनाया, उसके बाद कोडलियार, कुतुल, बेदमाकोटी, पदमकोट और अंत में नेलांगुर में शिविर बनाया।
अधिकारियों ने कहा, ”छत्तीसगढ़ में तैनात किसी भी बल द्वारा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में इतने शिविर स्थापित करने में सबसे कम समय (तीन महीने) लगा है।”
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”यह इलाका पिछले चार दशकों से नक्सलियों के कब्जे में है। अबूझमाड़ के इस इलाके में नक्सलियों की ‘बड़ी मौजूदगी’ देखी गई है।”
अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी अब उन ठेकेदारों और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करेगी जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 130डी के निर्माण के लिए महत्वाकांक्षी ‘भारतमाला’ सड़क नेटवर्क परियोजना पर काम करेंगे।
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में सुरक्षा की कमी के कारण यह काम लंबित था। इसके अलावा, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भी महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले तक पहुंचने के लिए नारायणपुर के उत्तरी हिस्से में ऐसे शिविर बना रहा है जिससे बेहतर संचार और सड़क नेटवर्क खुलेंगे।
आईटीबीपी को छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान चलाने के लिए तैनात किया गया है। बल को सबसे पहले राजनांदगांव जिले में और उसके बाद नारायणपुर और कोंडागांव जिलों में तैनात किया गया।
भाषा संजीव जोहेब
जोहेब
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